जैसा की ज्ञात हो कि इस बार पूरे भारतवर्ष में होलिका दहन सोमवार की मध्यरात्रि के बाद प्रातः 4:45 के बाद यानी मंगलवार की सुबह 4:45 से होलिका दहन का समय सुनिश्चित रखा गया है। होलिका दहन के लिए मारवाड़ी समाज के द्वारा गाय के गोबर से विभिन्न आकृतियां बनाई जाती है जिसे बड़कुल्ला कहते हैं। जिसमें मुख्य रूप से होलिका माता भक्त प्रल्हाद खेल खिलौने ढाल आदि बनाए जाते हैं। जिसके बनाने का नियम और तिथि भी निश्चित रहती है।
इसी संदर्भ में आज से पूरे भारतवर्ष में इसे बनाने की प्रथा शुरू हुई है। और आगामी होलिका दहन के दिन विधिवत पूजा कर अग्नि में इसे दहन किया जाएगा। शास्त्र कहता है कि भक्त प्रल्हाद विष्णु के अनन्य भक्त थे उनके पिता को यह पसंद नहीं था एवं भक्त प्रह्लाद को मारने की कई प्रकार की प्रवृतियां की। जिसके अंतर्गत होलिका माता जिसे अग्नि में नहीं जलने का वरदान प्राप्त था वह भक्त प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठी है मगर भगवान विष्णु के चमत्कार से होलिका माता स्वयं जल जाती है और भक्त प्रह्लाद जाते हैं। इसी खुशी को उल्लास के साथ मनाते हुए होली के रूप में मारवाड़ी समाज के द्वारा इसे आज भी जीवित रखा गया है।
जिसमें हर मारवाड़ी घर के द्वारा हर मारवाड़ी समाज के घर के द्वारा अपने अपने घरों में गाय के गोबर से बड़कुल्ला बनाया जाता है एवं इसे सावे की रस्सी में पिरो कर विधिवत पूजन कर होलिका दहन के दिन लकड़ी में बांधकर दाह स्थल तक परिवार के साथ ले जाया जाता है अग्नि में से प्रभावित कर दिया जाता है। तत्पश्चात जली हुई राख सभी अपने अपने घरों में लेकर आते हैं और राख ठंडी होने पर एक दूसरे को लगाकर खुशियां व्यक्त करते हैं जो कालांतर में रंग और गुलाल आदि के रूप में परिणित हो गया।
भागलपुर में भी विभिन्न स्थानों पर इसे मनाया जाएगा जिसमें मुख्य रुप से सोना पट्टी और खलीफाबाग चौक शामिल है।
यह समस्त जानकारी प्रवक्ता चाँद झुनझुनवाला ने दी है।