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43 वर्ष पुरानी रंगरा के मां भगवती मंदिर आज पूरे इलाके में मशहूर है। इस मंदिर में पूजा अर्चना करने निकटवर्ती जिले के अलावे पड़ोसी राज्यों के लोग भी प्रत्येक वर्ष आते रहते हैं। कहते हैं कि जिस किसी ने भी रंगरा की मां भगवती का नाम लेकर अपनी मनोकामना रखी हैं उनकी मुरादें 1 वर्ष के अंदर ही अवश्य पूरी हो जाती है। आज तक जिसने भी सर झुका कर अपनी मनोकामना मैया को सुनाया है उनकी मुरादें अधूरी नहीं रही है। प्रत्येक वर्ष यहां 100 से ऊपर छाग बली देने की परंपरा चलती आ रही है। यहां पर नवमी और दशमी के दिन भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है।

इसके अलावा दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता रहा है। जिसे देखने इलाके के हजारों दर्शक यहां पहुंचते हैं। मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए दुर्गा पूजा समिति के सचिव प्रभाकर ठाकुर कहते हैं- 1978 ईस्वी में बाढ़ और बरसात के बाद इलाके में डायरिया और हैजा जैसे महामारी फैलने लगा था। आसपास के गांवों के अलावे रंगरा गांव में भी महामारी का दस्तक हो चुका था। सभी लोग भयभीत थे तभी एक रात रंगरा गांव के ही महानंद मिश्र के स्वप्न में मैया भगवती आई और बोली कि मेरी स्थापना कर पूजा अर्चना शुरू करो।

महामारी इलाके से अपने खत्म हो जाएगी। स्वप्न की सुबह हीं यह बात महानंद मिश्र ने गांव के कई लोगों को सुनाया। कुछ लोगों ने उनके बात पर विश्वास भी किया और कुछ लोगों ने नहीं भी किया। परंतु धीरे-धीरे लोग एकजुट होते गए। जिसके बाद मुख्य रूप से अनिरुद्ध ठाकुर और तारा देवी के अथक प्रयास से 1978 ईस्वी के नवरात्रि शुरू होने से पहले ही लोगों के साथ मिलकर मां भगवती की कलश स्थापित किया गया। जिसके लिए जगह का चयन कर लिया गया और मैया की प्रथम पूजन कलश स्थापना के साथ शुरू कर दिया गया। पूजा शुरू होते हीं धीरे-धीरे महामारी का असर खत्म होने लगा और 9 पूजा होते होते इलाके से महामारी बिल्कुल ही खत्म हो गया।

यह बात इलाके में फैलते देर न लगी और इलाके के लोग यहां पूजा अर्चना के लिए आने लगे। 4 वर्षों तक यहां सिर्फ कलश स्थापित कर मैया की पूजा अर्चना किया गया। 5वें वर्ष 1983 में पहली बार मैया की प्रतिमा का पूजन प्रारंभ किया गया, जो अब तक विधिवत होता आया है। इस मंदिर में शास्त्रागत राजसी पूजा की परंपरा है। प्रत्येक वर्ष मैया की पूजा पूरे रंगरा गांव के लोगों के सहयोग से किया जाता है।

माता की महिमा और सभी ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का विकास लगातार ही होता जा रहा है। इलाके में मैया की महिमा की कहानी लोगों की जुबान पर है। मंदिर के निर्माण, रखरखाव और पूजा के लिए एक समिति का भी है पूजा समिति के अध्यक्ष गौतम कुमार सिंह सचिव प्रभाकर ठाकुर सहयोगी के रूप में शैलेंद्र ठाकुर, वरुण कुमार सिंह,अतुल प्रसाद सिंह, देवेंद्र मिश्र, ललन प्रसाद सिंह के अलावे गांव के सैकड़ो युवा हैं।

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