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नवगछिया – इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत 36 घंटे का होगा. मालूम हो कि इलाके में जीवित्पुत्रिका व्रत बड़ी संख्या में महिलाएं करती हैं. यह व्रत महिलाएं अपने पुत्र के लिए करती हैं और मान्यता है कि यह व्रत करने से पुत्र शतायु होता है और उसके जीवन में कभी बाधाएं नहीं आती है. मिथिला पंचांग के मर्मज्ञ पंडित शंभूनाथ वैदिक ने कहा है कि मिथिला पंचांग के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि में मनाया जाता है. सप्तमी युक्त अष्टमी व्रत में दोष नहीं है.

उदया तिथि से कोई लेना देना नहीं है. कृष्ण पक्ष में पिछली तिथि एवं शुक्ल पक्ष में अगली तिथि व्रत उपासना के लिए फलदाई होता है. इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत 16 अगस्त शुक्रवार को नहाय – खाय से शुरू होना है और रात्रि समापन के बाद तीन से चार बजे सुबह ओठगन होगा और 17 अगस्त शनिवार को परवैतिन व्रत प्रारंभ करेंगी. डाला भरने का मुहूर्त शनिवार को ही दिन के तीन बजे है. 18 अगस्त को शाम 4:50 के बाद व्रत पारण करेंगी और व्रत का समापन करेंगी. इस बार व्रत कुल 36 घंटे का है, जो अत्यंत कठिन है. लेकिन ईश्वर मनन से हर कठिन आसान हो जाता है.

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