नवगछिया : अधिमास और मलमास को पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है. ईश्वर ने अधिमास को अपना नाम दिया है. किसी भी दृष्टि से ये माह अशुभ नहीं है. इस मास को ईश्वर का आशीर्वाद मिला हुआ है. उक्त बातें स्वामी आगमानंद महाराज ने कही. श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया में सावन की सोमवारी पर आयोजित महारूद्राभिषेक, शालीग्राम पूजन और भजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया. स्वामी आगमानंदजी ने कहा कि ईश्वर की पूजा निष्काम भाव से करें. ईश्वर से कुछ मांगने की जरूरत नहीं. ईश्वर को पता है कि आप को क्या चाहिए. मांगा तो उनसे जाता है, जिनको आपके बारे में जानकारी नहीं है. उनसे भला क्या छिपा है.
ईश्वर तो कण-कण है, उन्हें सब कुछ पता है. आप अगर निष्काम भाव से भगवान की पूजा करेंगे तो आपका जीवन धन्य हो जाएगा. उन्होंने भगवान विष्णु और शिव की चर्चा करते हुए कहा कि दोनों एक-दूसरे के आराध्य हैं. शिव को तिल नहीं चढ़ाया जाता है, क्योंकि तिल विष्णु को प्रिय है. उन्होंने रामेश्वरम में भगवान राम द्वारा शिवलिंग की स्थापना की चर्चा करते हुए कहा कि पूजा के दौरान शिव और राम ने एक-दूसरे का चरणामृत ग्रहण किया. गोस्वामी तुलसीदास ने भी रामचरितमानस में शिव की स्तुति की है. स्वामी आगमानंदजी ने जैसे ही नमामी शमीशान निर्वाणरूपं शिवस्तुति शुरू की,
पूरा माहौल शिव भक्ति में डूब गया. उन्होंने स्वलिखित आरती गाऊं, गाऊं, गाऊं, भोलेबाबा जी की मैं भी गाया. इस अवसर पर 35 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने महारूद्राभिषेक व शालीग्राम पूजन किया. श्री शिवशक्ति योगपीठ के विद्वान पंडितों ने पांच घंटे तक वैदिक मंत्रोच्चार कराकर सभी काे महारूद्राभिषेक व शलीग्राम पूजन कराया. कार्यक्रम में नवगछिया, भागलपुर, खगड़िया सहित कई जिलों में सैकड़ों श्रद्धालु वहां आए थे. इस दौरान बलबीर सिंह बग्घा सहित कई गायकों ने देर शाम तक भजन प्रस्तुत किया. इस अवसर पर कुंदन बाबा, रामबालक भाई, प्रेमानंद भारती, मानवानंद जी भाई, सोनू, सत्यजीत, सहाय जी समेत कई लोग व्यवस्था में लगे रहे.