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ऋषव मिश्रा “कृष्णा”, मुख्य संपादक , जीएस न्यूज़

नवगछिया – खोखा सिंह एक सामान्य परिवार का कृषक था. मेहनत मजदूरी करना और अपने परिवार का पेट पालना बस इतना ही उसका सरोकार था. यह बात 90 के दशक की है खोखा का एक परिजन एक आटा चक्की मिल पर गेहूं पिसाने गया था. वहां पर एक गैंगस्टर पहले से ही मौजूद था.

खोखा का उक्त परिजन उस गैंगेस्टर को देखने लगता है. वह गैंगेस्टर पूछता है तुम मुझे आंख क्यों दिखा रहे हो तो इस पर खोखा के परिजन ने शालीन शब्दों में जवाब दिया लेकिन बात नहीं बनी और बात झगड़े तक आ गई. मौके पर खोखा सिंह भी पहुंचे और दोनों के समझाने बुझाने का प्रयास किया जा रहा था. इसी क्रम में किसी ने गोली चला दी.

रात का समय था खोखा सिंह ने समझा उस गैंगेस्टर ने गोली चला दी तो उस गैंगेस्टर ने समझा कि खोखा सिंह ने गोली चलाई है. इसके बाद उस गैंगेस्टर से खोखा की ठन गई. पहले खोखा के जमीन पर कब्जा किया और खोखा को मारने के लिए उसे गांव में खोजने लगा. अब खोखा के पास कोई चारा नहीं था सिवाय हथियार उठाने को. वह गांव से अपने परिवार के साथ पलायन कर गया और दियारा में रहते हुए उसने फैजान गिरोह की सदस्यता ली और फिर वह फैजान गिरोह के एक बड़े हिस्से का सरगना बन गया.

कल तक हल चलाने वाले को खाने जब हथियार थामा तो बड़े बड़े अपराधियों के दांत खट्टे कर दिए. खोखा के नाम पर एक के बाद एक गैंगवार दर्ज होते गए और खोखा सिर्फ नवगछिया कोसी दियारा का ही नहीं बल्कि मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार और खगड़िया का नामी गैंगेस्टर हो गया. उस समय कहां जाता था कि अगर खोखा किसी भी गैंग का नेतृत्व कर रहा है तो फिर उस से मुकाबला करना संभव नहीं था.

करीब 13 वर्ष पहले मारे गए कुख्यात दस्यु सरगना कुलानंद सिंह और उसके कमांडर सत्तन सिंह से खोखा की सीधी अदावत थी. जब तक खोखा के विरोधी जीवित रहे तब तक खोखा गांव में नहीं रहा. कहां जाता है कि करीब 20 वर्षों तक चली लड़ाई में अपने जानते हुए खोखा ने अपने एक भी दुश्मनों को छोड़ाने की भूल नहीं कि थी. इसके बाद जब खोखा गांव आया तो उस समय अपराध का परिदृश्य बदल चुका था. संगठित अपराध समाप्त होने को था.

ऐसे में खोखा सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षा प्रबल हो गई और उसने पंचायत चुनाव में अपना भाग्य आजमाना शुरू किया. लेकिन वर्ष 2017 में खोखा से एक बार फिर से चर्चा में आ गया. उस पर गंगा नगर में कई ट्रेक्टर चालकों के साथ मारपीट करने का आरोप था. मामले की प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी लेकिन पुलिस खोखा को गिरफ्तार करने में असफल थी.

फिर ग्रामीणों का आक्रोश एक प्रदर्शन का रूप लिया और चरणबद्ध तरीके से खोखा के मारपीट के विरोध में प्रदर्शन किए जाने लगे. अंततः वर्ष 2017 में ही खोखा सिंह को गिरफ्तार किया गया. कहा जाता है कि इस बार जेल से निकलने के बाद खोखा मुख्यधारा में जुड़ गए थे. वह इस बार पंचायत चुनाव में मुखिया पद से दावेदारी देने वाला था. इसके लिए उसने गांव में तैयारी भी शुरू कर दी थी. कहा जाता है कि इन दिनों पंचायती में खोखा का कोई जोड़ नहीं था. दो लोगों के बीच हुए झगड़े को वह पंचायती लगा कर चुटकियों में सुलझा देता था. जिसके कारण वह गांव में काफी लोकप्रिय हो गए थे. विधानसभा चुनाव में वे खुलकर जदयू प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रहा था.

खोखा सिंह हत्याकांड मामले में 11 नामजद और 4 अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज

खोखा सिंह हत्याकांड मामले में उसके भाई हिन्दल सिंह के बयान पर कुल 11 लोगों को नामजद किया गया है और चार अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. प्राथमिकी में दीपनारायण सिंह, पुलिस सिंह, बबलू सिंह, रजनीश सिंह, रोशन सिंह, उमेश सिंह, नीतीश सिंह आदि को नामजद किया गया है. घटना का कारण जमीन विवाद बताया गया है.

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