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सुपौल: सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के सदानंदपुर गांव में धिमरा नदी पर पुल नहीं रहने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। यहां नदी के दोनों पाटों के बीच बिजली के जर्जर खंभे लगा दिए गए हैं। उन पर चढ़ कर लोग जैसे तैसे नदी पार करते हैं। इस दौरान जरा भी असंतुलन जानलेवा साबित होता है। सात सालों में यहां तीन बच्चे-बच्चियों की डूबने से जान जा चुकी है। लेकिन इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा इस पर सेतु निर्माण की जरूरत नहीं समझी जा रही है।

खेत होने के कारण नित्य पार करनी पड़ती है नदी

एक हजार की आबादी वाली इस बस्ती के लोगों की जीविका का साधन कृषि है। लोग इस पार रहते हैं तो उनके खेत नदी के दूसरे पार हैं। इसके कारण लगभग नदी के उस पार जाना लोगों की प्रतिदिन की दिनचर्या में शामिल है। यही वजह है कि नदी पार करने व पैदावार लाने के लिए लोगों ने नदी पर बिजली के टूटे खंभे डाल रखे हैं। उसके सहारे वे नदी पार करते हैं। इस क्रम में कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

तीन बच्चों की जान जाने के बाद भी नहीं समझी जा रही सेतु की जरूरत

ग्रामीण देवचंद्र कुमार, लक्ष्मी मुखिया, राधारमण प्रसाद, दिनेश मुखिया, विजय कामत, संतोष कुमार मुखिया आदि बताते हैं कि यहां के लोगों की जमीन नदी के उस पार है। नदी पार करने के दौरान कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। पुल निर्माण के लिए उनलोगों ने कई बार विभागीय पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई। लेकिन आजतक पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। यहां नदी पार करने के क्रम में तीन बच्चे-बच्चियों की डूबने से मौत हो चुकी है। चार वर्ष पूर्व गांव के चार वर्षीय एक बच्चे की मौत डूबने से हो गई थी। इससे तीन साल पूर्व एक अन्य बच्चा और एक बच्ची नदी पार करने के दौरान डूब गए थे। नदी की तेज धारा में बहकर उन्हें दूर चले जाने से पांच-छह दिनों बाद दोनों के शव बरामद हुए थे। इतनी गभीर स्थिति के बावजूद पुल नहीं होने से किसानों व ग्रामीणों को जान हथेली पर रखकर पुल पार करना पड़ रहा है।

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