बिहार की राजधानी पटना स्थित एम्स में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू हुए एक महीना पूरा हो गया है। पहले चरण में जिन लोगों पर ट्रायल हुआ है वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। यानी उनपर अभी तक कोई साइड इफेक्ट नहीं हुआ है। इस तरह वैक्सीन तो सुरक्षित है लेकिन यह कोरोना वायरस से लड़ने में कितनी असरदार है इसका विश्लेषण होने के बाद ही पता चलेगा।
पटना एम्स में पहले डोज के बाद एंटीबॉडी जांच के लिए आईसीएमआर भेजा गया है। देश भर में सबसे पहले पटना एम्स में 15 जुलाई को वैक्सीन ट्रायल शुरू हुआ था। कोरोना संक्रमण से निजात पाने के लिए देशभर के अस्पतालों समेत पटना एम्स में जिन लोगों पर ट्रायल चल रहा है। उसका पहला चरण अगस्त महीने के अंत में पूरा होगा।
देश भर में 375 लोगों पर वैक्सीन ट्रायल चल रहा है। जिसमें पटना एम्स में 46 लोग शामिल हैं। ट्रायल वैक्सीन की पहली डोज देने के 14 दिन बाद दूसरी डोज 44 लोगों को दी गयी है। पहला चरण अगस्त महीने के अंत में पूरा होगा। इसके बाद सभी 375 लोगों पर ट्रायल किए गए वैक्सीन का विश्लेषण किया जाएगा।
विश्लेषण में वैक्सीन के असरदार होने की जानकारी ली जाएगी। यानी कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में कितनी एंटीबॉडी बन रही है? जो एंटीबॉडी बनी है वो मेंटेन है या नहीं। ऐसे प्रमुख तथ्यों की जानकारी मिलने और संतोषपरक रिपोर्ट होने पर ही दूसरे चरण का ट्रायल शुरू होगा। इस प्रकार दूसरा चरण पूरा होने के बाद फिर विश्लेषण होगा। अगर आईसीएमआर तीसरे चरण की जरूरत समझेगा तो तीसरा चरण भी हो सकता है लेकिन बताया जा रहा है कि ट्रायल के दो चरण पूरा करने के बाद ही वैक्सीन लाने की योजना है। इस प्रकार यह उम्मीद की जा रही है वैक्सीन इस साल के दिसंबर के अंत तक या अगले साल जनवरी महीने में ही मिल सकेगी।
पटना एम्स के अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह ने बताया कि वैक्सीन ट्रायल के पहले चरण के विश्लेषण रिपोर्ट का इंतजार है। अभी तक वैक्सीन सुरक्षित पायी गयी है। यह वैक्सीन कितनी असरदार है? इसकी रिपोर्ट आना बाकी है।