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जनता दल यूनाइटेड संगठन जिला नवगछिया के जिला कार्यालय में आरसीपी प्रकरण के मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित हुई। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रवि कुमार ने कहा कि आरसीपी जदयू के कार्यकर्ता नहीं थे बल्कि एक सरकारी कर्मचारी थे। नीतीश कुमार की कृपा पर सीधे राज्यसभा में पहुंचे तो आरसीपी सिंह ने बताये कि उन्होंने जदयू के लिए कौन सा संघर्ष किया था? नीतीश आरसीपी सिंह पर भरोसा कर दो बार लगातार राज्यसभा में भेजा और राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी। 2010 में बिहार विधानसभा में जदयू की 117 सीटें थी लेकिन जब से आरसीपी सिंह संगठन में आए तभी से बिहार विधानसभा में जदयू की सीटें कम होती गई।

नीतीश कुमार ने जिस उम्मीद से आरसीपी सिंह को जिम्मेदारी सौंपी थी, आरसीपी सिंह उसके विपरीत संगठन को लगातार कमजोर करने की साजिश रच रहे थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के साथ मिलकर नीतीश कुमार को कमजोर करने की साजिश रच रहे थे। सरकार गिराने की भाजपा और आरसीपी के साजिश को नीतीश कुमार ने नाकाम कर दिया। जदयू का एक-एक कार्यकर्ता नीतीश कुमार के साथ है। आरसीपी सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रहते हुए कार्यकर्ताओं को नीचा दिखाने का काम करते थे।

वहीं नवगछिया प्रखंड अध्यक्ष मुरारी मंडल ने कहा कि नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को पहचान दी लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ ही षड्यंत्र रच दिया।आरसीपी सिंह का व्यहवार कार्यकर्ताओं के साथ निंदनीय था, वे पार्टी मीटिंग में भी कार्यकर्ताओं को नीचा दिखाने का काम करते थे। जदयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष शाहिद रजा ने कहा कि जिनको नीतीश कुमार ने माननीय बनाया उन्होंने अमाननीय वाला काम किया है। नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को हद से ज्यादा सम्मान दिया। लेकिन वे बिहार को महाराष्ट्र बनाने में लगे थे। यह स्पष्ट है कि पूरा अल्पसंख्यक समाज नीतीश कुमार के साथ है। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान युवा नेता प्रिंस पटेल भी मौजूद थे, जिन्होंने आरसीपी सिंह को बिहार की राजनीति में जयचंद और सबसे बड़ा धोखेबाज नेता करार दिया।

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