कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के इस दौर में भी जीविका दीदियों ने अपनी उद्यमिता बनाए रखी है। अब उन्होंने एलईडी बल्ब बनाने की एक फैक्ट्री डाली है। सरकार ने इस फैक्ट्री के लिए डोभी (गया) में 18 हजार वर्ग फुट जमीन और भवन भी दे दिया है। अगले महीने से यहां 9 वाट के एलईडी बल्ब का उत्पादन शुरू हो जाएगा। खास बात है कि यह बल्ब बाजार में प्रचलित अन्य ब्रांडों के बल्ब से काफी सस्ता और टिकाऊ होगा।
बल्ब की कीमत महज 60 रुपए है और 3 साल की वारंटी दी जाएगी। यह सस्ता बल्ब अन्य प्रचलित ब्रांडों के मुकाबले बाजार में जल्द स्थापित हो जाएगा। बल्ब बनाने की मशीनें आ गई हैं। ट्रायल भी पूरा हो गया है। 27 कामगार महिलाओं को ट्रेंड भी कर दिया गया है। शुरुआत में एक हजार बल्ब रोजाना बनाए जाएंगे। फिर जल्द ही 5 हजार बल्ब रोजाना का उत्पादन हो सकेगा। इसी फैक्ट्री से दीदियां एलईडी टॉर्च, लैंप, सोलर लैंप आदि बनाएंगी।
जीविका दीदियों ने बल्ब के उत्पादन के लिए अपनी कंपनी के वायर (जीविका वूमेन इनीसिएटिव रिन्यूवल एनर्जी) नाम की कंपनी भी निबंधित करा ली है। ग्रामीण महिलाओं की यह कंपनी ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण को बचाते हुए ग्रीन ऊर्जा की अवधारणा को साकार करेगी। आम लोगों को महंगे बिजली उपकरण खरीदने से बचाने के लिए उनकी फैक्ट्री में होम लाइटिंग सिस्टम का भी उत्पादन होगा, जिसे वे रियायती दरों पर बचेंगी।
दो साल में सभी तरह के सौर उत्पाद बनाए जाएंगे
दो साल के अंदर सभी तरह के सौर उत्पाद लैंप , टॉर्च, सोलर पंखे आदि बनाए जाएंगे। खास बात यह है कि 25 से 35 हजार रुपए के बीच सोलर होम लाइटिंग सिस्टम मिलेगा। ग्रामीणों को बिजली बिल के भुगतान की समस्या से निजात मिलेगी। प्रयोग के तौर पर दीदियों ने करीब 70 होम लाइटिंग सिस्टम को एसेम्बल करके बेचा भी है। उन लोगों ने 2 साल पूर्व 16. 50 लाख लैंप स्कूली बच्चों में बांटे थे। उस समय से सौर ऊर्जा और ईएलडी बल्ब के प्रति इन दीदियों के रुचि बढ़ी है।
चला रही हैं दुकानें
राज्य के विभिन्न स्थानों जैसे गया, नवादा , भोजपुर, औरंगाबाद आदि स्थानों में जीविका दीदियां सौर ऊर्जा के उपकरणों से संबंधित दुकानें चला रही हैं। 224 दुकानें चल रही हैं। यहां कार्यरत दीदियों को सौर उपकरणों की एसेम्बलिंग में महारत हासिल है। तकनीकी जानकारी आईआईटी मुंबई से दी गई है।