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नवगछिया : खगड़ा में चल रहे नौ दिवसीय श्री शतचंडी महायज्ञ और श्री रामकथा महायज्ञ के सातवें दिन मानो श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से भी यज्ञ वेदी की परिक्रमा करने लोगों की भीड़ उमड़ी। इसके अलावा वहां स्थापित देवी-देवताओं की प्रतिमाओं का लोगों ने पूजन किया। श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज से आशीर्वाद लेने की काफी भीड़ रहेगी। बलवीर सिंह बग्घा, माधवानंद ठाकुर, पवन दुबे के भजनों पर लोग थिरकने लगे। इस दौरान स्वामी आगमानंद ने कहा कि जीवन का सार है ईश्वर की प्राप्ति और लोगों की सेवा। उन्होंने कहा- संतों का भी यही काम है।

संतों के पास जो भी कुछ रहता है वह दूसरे के लिए होता है। संत एक हाथ से लेते हैं तो दूसरे हाथ से दान कर देते हैं। उनका जीवन परोपकार में ही बीतता है। आज की कथा में उन्होंने पर्यावरण सुरक्षा पर जोर दिया। कहा कि पौधा लगाएं, वृक्ष काटे नहीं। नदियों का संरक्षण करें, उसे गंदा नहीं करें। गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है। इसकी हर प्रकार से इसकी रक्षा करें। यह हमारी माता है। स्वामी आगमानंद ने राम के वन गमन की कथा सुनाई। कैकई को उन्होंने कहा- भले ही आज उनका अपयश होता हो, लेकिन उन्होंने जनकल्याण के लिए राम को वन भेज दिया।

कैकई भी सबसे ज्यादा राम को पसंद करती थी। वन जाने के बाद भरत का आना और राम से मिलने की कथा भी उन्होंने सुनाई। कहा कि भरत के सामन दूसरा कोई भाई नहीं हो सकता। सत्ता प्राप्त होने के बाद भी वे कभी सिंहासन पर नहीं बैठे। राम की चरण पादुका की उन्होंने पूजा की। 14 वर्ष तक उन्होंने ऐसे जीवन जीया, जो किसी सन्यासी के जीवन से कम नहीं था। आज भरत का नाम हर कोई श्रद्धा से लेते हैं। कथा के दौरान पंडित ज्योतिन्द्र चौधरी, स्वामी मानवानंद, कुंदन बाबा, मनोरंजन प्रसाद सिंह आदि मौजूद थे। मंगलवार को अष्टमी के दिन कथा मंडप पर सुंदरकांड का पाठ दोपहर दो बजे से होगा। सुंदरकांड पाठ भजन सम्राट प्रो हिमांशु मोहन मिश्र दीपक जी, प्रो डा. मिहिर मोहन मिश्र सुमन जी और दिलीप शास्त्री करेंगे।

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