गंगा घाट पर 9 से 16 नवंबर तक भागवत कथा का भव्य आयोजन
नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर प्रखंड स्थित गोसाई गांव में गंगा तट पर लगातार छठी बार श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 9 नवंबर से 16 नवंबर तक आयोजित किया गया है, जिसमें श्रद्धा और भक्ति के साथ हजारों लोग भाग ले रहे हैं। इस वर्ष भी गोसाई गांव के गंगा प्रसाद बाँध पर भागवत कथा का आयोजन भव्य रूप से किया जा रहा है।
कार्यक्रम के शुभारंभ में शनिवार को एक विशाल कलश शोभा यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें 108 महिलाएं, नवविवाहित युवतियां और कुमारी कन्याएं अपने सिर पर कलश लेकर गंगा घाट के पास स्थित बजरंगबली मंदिर से गंगा तट तक पहुंचीं। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने भव्य रूप से कलश यात्रा का स्वागत किया, जो कार्यक्रम के धार्मिक महत्त्व को और भी बढ़ाता है।
कथावाचक स्वामी नारायण दर्शन जी महाराज ने अपनी शुरुआत में ही कहा कि भागवत कथा का श्रवण करने से आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्वामी जी ने गोसाई गांव में भागवत कथा के आयोजन को एक पवित्र कार्य बताया और स्थानीय निवासियों को इसके आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। स्वामी जी ने बताया कि यह आयोजन इस क्षेत्र में धार्मिक जागरूकता और भक्ति को बढ़ावा दे रहा है, और इस आयोजन में पूरे गांव का सहयोग अत्यधिक सराहनीय है।
भागवत कथा के पहले दिन भगवान और भक्तों के बीच के संबंध को विस्तार से बताया गया। स्वामी जी ने बताया कि भगवान और भक्त के बीच की साझेदारी न केवल आध्यात्मिक, बल्कि एक प्रेम और समर्पण का संबंध है, जिसे भागवत कथा के माध्यम से समझा और अनुभव किया जा सकता है।
इस आयोजन में ग्रामवासियों की भी बड़ी भूमिका रही। कार्यक्रम में शंभू यादव, टिंकू यादव, अशोक यादव, अमित कुमार, ईलू कुमार, सुमन यादव, अजित कुमार यादव, संतोष कुमार, सुमित कुमार, निर्मल, रितेश, सुधीर, अनिल, आनंद जैसे कई सम्मानित व्यक्तियों की उपस्थिति रही, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग किया। साथ ही सैकड़ों की संख्या में युवा और श्रद्धालु इस धार्मिक आयोजन का हिस्सा बने।
कथा के आयोजन में मंच पूजन, मंच उद्घाटन, और व्यास पीठ पूजन जैसे धार्मिक संस्कारों का भी विधिपूर्वक पालन किया गया, जिससे आयोजन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व और भी बढ़ गया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह स्थानीय लोगों को एकजुट करता है और गांव में धार्मिक आस्था को और मजबूत करता है।