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@ पिछले पांच वर्षों से हर वर्ष हो रही ऐसी घटना। पांच – छः माह पुराने यानी ताजा दफनाये गए शवों के ही सिर काटे जा रहे हैं। ग्रामीण कहते हैं हरेक घटना के बाद स्थानीय थाने में लिखित शिकायत की जाती रही है परन्तु आज तक इस अमानवीय कुकृत्य के पीछे छुपे अपराधियों को नहीं दबोचा जा सका है।

प्रदीप विद्रोही
भागलपुर। मरने के बाद भी कब्र में सुकून नहीं। नरमुंड तस्कर रात के अंधेरे में आते हैं और कभी नहीं टूटने वाली नींद में सोये कुछ माह पुराने शवों के सिर काट कर ले जा रहे हैं। कब्र की खुदाई में सावधानी इस कदर बरती जा रही है कि महज मुंड वाले हिस्से की ही चौकोर खुदाई की जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि ऐसा दुस्साहस अभी तक पांचवीं बार हो चुका है। पिछले पांच वर्ष से प्रति वर्ष इस तरह के कुकृत्य को अंजाम दिया जा रहा है।

पांच – छः माह पूर्व दफनाये गए शवों को ही मानव तस्कर निशाना बना रहे हैं। ताजा घटना रविवार की देर रात की बताई जा रही है। सोमवार की सुबह घटना की जानकारी मिलने के बाद ग्रामीण कब्रिस्तान पहुंचकर अपने गुस्से का इजहार किया। पश्चात मौके पर जनप्रतिनिधि, सन्हौला थाने की पुलिस कब्रिस्तान पहुंचकर आक्रोशित ग्रामीणों को शांत कराया।


ताजा घटना के संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि जिले के सन्हौला प्रखंड स्थित ग्राम पंचायत फाजिलपुर सकरामा का असरफनगर – नदियामा का यह वर्षों पुराना कब्रिस्तान है। तीन से चार गांव के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग यहां शवों को दफनाने आते हैं। रविवार – सोमवार की रात जिस महिला के कब्र की खुदाई के बाद सिर को काटकर अज्ञात लोगों ने ले भागा वह मो बदरूजम्मा की अम्मी का कब्र है। साढ़े पांच माह पूर्व बदरू ने अपनी अम्मी को दफनाया था। पिछले पांच वर्षों के दौरान कब्र खोदकर मो मुख्तार की सास, मोहिद की पत्नी, मो मोहिद, आशिक अली की पत्नी के सिर को काटकर भाग खड़े हुए। इस कुकृत्य व अमानवीय घटना को लेकर कुछ ग्रामीण इसे तांत्रिकों का करतूत भी बता रहे हैं।
इस अमानवीय कार्य में किसी मानव तस्कर गिरोह का हाथ होने का अनुमान ग्रामीण लगा रहे हैं।

वहीं कुछ ग्रामीण इस कार्य में आसपास के गांव के तांत्रिकों की संलिप्तता की भी बात बता रहे हैं। बताया गया कि दफनाने के बाद मिट्टी की भराई होती है। मिट्टी के बाद ऊपरी हिस्से में बांस की बत्ती पश्चात लकड़ी के तख्ते से कब्र को ढका जाता है। पुनः मिट्टी चढ़ाई जाती है। खुदाई के दौरान बांस की बत्ती और लकड़ी की बत्ती को जरा भी नुकसान नहीं पहुंचता है। मसलन कब्र की खुदाई सावधानी पूर्वक की जाती है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कब्रिस्तान की घेराबंदी चरवाहों द्वारा अक्सर तोड़ दी जाती है। जबकि ग्रामीण अपने सहयोग से कई बार इस कब्रिस्तान की घेराबंदी पिलर, दीवार व कंटीले तार से करवाया गया है। यह सुरक्षा कुछ दिन ही टिकता है। कुछ दिनों के बाद ही कंटीले तार को काट दिया जाता है। उसके पिलर को ध्वस्त कर दिया जाता है। मुख्य दरवाजा को खोल दिया जाता है।

ताजा घटना की जानकारी जब जंगल में आग की तरह फैली तो पंचायतवासियों की भीड़, जनप्रतिनिधि, सन्हौला थाना की पुलिस सहित प्रशासन के लोग घटना स्थल का निरीक्षण करने पहुंचे और गुस्साए लोगों को शांत कराते हुए शीघ्र दीवार और कंटीले तार से घेराबंदी सहित चारों ओर प्रकाश की व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया गया। साथ ही इस कुकृत्य में शामिल लोगों की शीघ्र गिरफ्तारी की बात कही गई। इधर सन्हौला की जिप सदस्य नाजनी नाज, पंचायत की मुखिया शोभा देवी, मुखिया प्रतिनिधि विजय मंडल सहित अन्य जनप्रतिनिधियों व सामाजिक लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। इस घटना को लेकर मंगलवार को सन्हौला थाना में एक बैठक हुई। जिसमें पंचायत के जनप्रतिनिधि शामिल हुए। कब्रिस्तान की सुरक्षा को लेकर विस्तार से चर्चा हुई।

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