परिजन सरकार से कर रहे इलाज की मांग.
ढोलबज्जा: नवगछिया प्रखंड के कोसी पार, कदवा दियारा पंचायत अंतर्गत कार्तिक नगर कदवा निवासी घनश्याम कुमार के दो पुत्र अनिमेष अमन (16) व अनुराग आनंद (7) मस्कूलर डिस्ट्रोफी नामक दुर्लभ बिमारी से पीड़ित होकर जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं. देश में इस बिमारी के इलाज नहीं होने से परिजन काफी परेशान है. पीड़ित बालक के पिता घनश्याम कुमार ने बताया कि- वह अपने दोनों बेटे के इलाज को लेकर, अब तक 10 लाख रुपए खर्च कर दिए. लेकिन इसके इलाज नहीं हो पाई है. इस बीमारी में शरीर की मांसपेशियों व कोशिकाएं काम करना बंद कर देते हैं.
जिससे पीड़ित चल फीर नहीं पाते. दोनों बालकों को उठा कर स्नान व शौच वगैरह कराने में भी काफी परेशानियां होती है. बिमारी से जूझ रहे बालक एक जगह पड़े रहते हैं. जो आने जाने वाले राहगीरों को टकटकी लगाए इस कदर देखते रहते हैं कि कोई तारणहार मिल जाय जिससे उसे भी नई जिंदगी की पंख मिल सके. घनश्याम कुमार ने बताया कि इस बिमारी की इलाज भारत में नहीं है. अमेरिका में है भी तो, काफी मंहगे हैं. एक इंजेक्शन की कीमत करीब तीन लाख रुपए पड़ते हैं. एक जो साधारण परिवार से संभव नहीं है. भारत के एक वैज्ञानिक सुरजित सिन्हा ने मस्कूलर डिस्ट्रोफी बिमारी की दवाई बनाए हैं. जिसे सरकार से व्यवस्था व उसके खर्च के लिए मदद मिल जाय तो, इलाज हो सकता है.
सरकार ने देश के अलग अलग राज्यों में इस बिमारी के रिसर्च व जांच सेंटर भी बनाए हैं लेकिन, बिहार में एक भी नहीं होने से बिमारी को ले जाने में भी काफी परेशानियां होती है.
उक्त बातों को लेकर घनश्याम कुमार ने सिविल सर्जन भागलपुर, जिलाधिकारी, जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग भागलपुर, माननीय प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को आवेदन देकर बिमारी के इलाज व उपकरण संबंधित अन्य सुविधाओं की मदद मांग रहे है.
उक्त बातों को लेकर, सामाज कल्याण विभाग के कल्याण समिति भागलपुर के अध्यक्ष मधु रंजन ने बताया कि- मैं अपने स्तर से अनुशंसा कर, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा को रिपोर्ट भेज दी है. साथ हीं पीड़ित बच्चों को कोई सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिल सके उसके लिए जिला बाल संरक्षण इकाई को एक पत्र भेज दिए हैं.