नवगछिया: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कदवा दियारा के कोसी नदी किनारे मारधार क्षेत्र में एक गरूड़ और उसके बच्चे को छोड़ा गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर डीएफओ श्वेता कुमारी, आरसीसीएफ, पक्षी चिकित्सक संजीत कुमार, पक्षी विशेषज्ञ अरविंद मिश्र, और गरूड़ मित्र उपस्थित थे।
डीएफओ श्वेता कुमारी ने जानकारी देते हुए बताया कि कदवा दियारा गरूड़ प्रजनन केंद्र के रूप में विख्यात है। कोसी नदी के किनारे गरूड़ों के लिए मछलियों और अन्य खाद्य पदार्थों की प्रचुरता के कारण यह क्षेत्र उनके लिए आदर्श है। बीमार गरूड़ और उसके बच्चे को ठीक करने के बाद उन्हें यहां छोड़ दिया गया है।
गरूड़ प्रजनन केंद्र की विशेषताएं
पूरे विश्व में केवल 1300 गरूड़ ही पाए जाते हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक (लगभग 600 गरूड़) कदवा दियारा में ही हैं। यह क्षेत्र अब गरूड़ प्रजनन केंद्र बन गया है और यहां गरूड़ों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
पर्यावरण में गरूड़ का महत्व
गरूड़ हमारे पर्यावरण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। वे गिद्ध की तरह साफ-सफाई करते हैं और पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गरूड़ की विलुप्ति से पर्यावरण में असंतुलन आ सकता है। इस प्रकार, गरूड़ों की संरक्षण के लिए कदवा दियारा जैसे क्षेत्रों का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर उपस्थित सभी विशेषज्ञों ने पर्यावरण संरक्षण और गरूड़ों के संरक्षण पर जोर दिया और इस दिशा में अपने प्रयासों को और भी मजबूत करने का संकल्प लिया।