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नवगछिया : मदन अहल्या महिला महाविद्यालय के हिंदी विभाग और आई.क्यू.ए.सी के तत्वावधान में कालजयी रचनाकार दिनकर विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो०संजय कुमार चौधरी के अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो०(डॉ.) संजय कुमार चौधरी ने कहा कि दिनकर ने आरम्भ से ही ओजस्विता एवं तेजस्विता से परिपूर्ण कविताएँ लिखीं तथा जिनकी कविताओं में योद्धा का गम्भीर घोष है,अनल का सा तीव्र ताप है और सूर्य का- सा प्रखर तेज है। यही खूबी दिनकर को दिनकर बनाती है।दिनकर ऐसे क्रांतिदर्शी कवि थे जो समाज को परिवर्तित करने की क्षमता रखते थे। कार्यक्रम में स्वागत भाषण महाविद्यालय के आई०आर० पी०एम० विषय के सह-आचार्य डॉ राजीव सिंह के द्वारा किया गया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो० (डॉ)बहादुर मिश्र ने दिनकर के बचपन से मृत्युपर्यन्त जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दिनकर का अर्थ सूर्य होता है जो हर काल व किसी भी विषम परिस्थिति में चमकता है।उनका मानना है कि दिनकर की जन्मस्थली हम साहित्य प्रेमियों के लिए पवित्र तीर्थ स्थली से कम नहीं है।दिनकर की पहचान राष्ट्रकवि के रूप में है।उनका साहित्य राष्ट्रीय जागरण का जीता जागता दस्तावेज है।दिनकर जी के यहां राष्ट्रीय चेतना कई स्तरों में व्यक्त हुई है।हुंकार,रेणुका रश्मिरथी,और इतिहास के आंसू जैसी कविताओं में दिनकर जी ने विद्रोह और विप्लव के स्वर को उभारा है। हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो० (डॉ)मधुसूदन झा, डॉ अनुराधा देवी,डॉ० बिहारी लाल चौधरी , प्रो०सुदामा यादव,

विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर आई.आर.पी.एम. विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो०भावना झा और महाविद्यालय हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक धर्मेन्द्र दास ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ०अमरेंद्र कुमार सिंह तथा धन्यवाद – ज्ञापन डॉ० राजीव सिंह ने किया। मौके पर महाविद्यालय के शिक्षक,कर्मचारी और बड़ी संख्या में शोधार्थी,छात्राऍं उपस्थित रहे।इस कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के संथापक और संथापिका के मूर्ति पर माल्यार्पण डॉ अनिता गुप्ता के नेतृत्व में एन.सी.सी.कैडेट द्वारा सलामी देकर हुई।संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अंजू कुमारी के नेतृत्व में उनके छात्राओं द्वारा संगोष्ठी का आरम्भ कुलगीत और स्वागत गीत तथा कार्यक्रम समापन राष्ट्र गीत से होती है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अरुण झा का बहुत बड़ा सहयोग रहा।

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