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प्रदीप विद्रोही

भागलपुर : अंग जन गण, अंग मदद फाउंडेशन और अंगिका विकास फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में विश्व मातृभाषा दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय अंग समागम में देशभर से आई कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। इस अवसर पर अंग प्रदेश की संस्कृति, भाषा और महापुरुषों के योगदान को सम्मानित करते हुए 12 संघर्षशील महिलाओं को कर्ण पुरस्कार से नवाजा गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन भागलपुर में जन्मे नाटककार वीरेंद्र नारायण के सुपुत्र और आइआइटी रुड़की के प्राध्यापक विजय नारायण, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय केंद्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो मनोज कुमार, शिक्षाविद डॉ रतन मंडल, समाजसेवी शंभू दयाल खेतान ने किया। अतिथियों का स्वागत डॉ सुधीर मंडल, वंदना झा और डॉली मंडल ने किया। कार्यक्रम का मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने किया।

यह कार्यक्रम पिछले तीन वर्षों से हर वर्ष अंग और अंगिका के विकास के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष समागम को स्वाधीनता सेनानी और रंगकर्मी वीरेंद्र नारायण के जन्म शती वर्ष पर आयोजित किया गया था।

मुख्य अतिथि विजय नारायण ने वीरेंद्र नारायण के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए अंग और अंगिका के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ रतन मंडल ने कहा कि भागलपुर शहर कई ख्याति प्राप्त लोगों से जुड़ा है, लेकिन महाभारत काल से लेकर अब तक इसे उपेक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि अब अंग प्रदेश के लोग अपनी भाषा और महापुरुषों की उपेक्षा नहीं सहेंगे। उन्होंने इस मौके पर अंगिका को अष्टम सूची में शामिल करने की मांग भी की, जिसे कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों ने समर्थन दिया।

समागम में दानवीर कर्ण की प्रतिमा स्थापित करने की मांग भी उठी, जिसे उपस्थित जनसमूह ने जोरदार समर्थन किया। डॉ शंभू दयाल खेतान ने वीरेंद्र नारायण को अंग की विभूति बताते हुए उनकी महानता को स्वीकार किया। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज कुमार ने लोक भाषाओं के महत्व पर बात करते हुए अंगिका के विकास के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता जताई।

समागम में अंगिका के साथ हो रहे अन्याय पर भी रोष व्यक्त किया गया। इसके बाद कार्यक्रम की शुरुआत प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ रतन कुमार मंडल की अध्यक्षता में लोक गायक अरविंद कुमार यादव और विवेकानंद ठाकुर के अंगिका गीत से हुई। इसके बाद वीरेंद्र नारायण द्वारा लिखित नाटक “बापू के साए में” का अंगिका में मंचन किया गया, जिसका निर्देशन रंगकर्मी सीतांशु अरुण ने किया।

समागम में साहित्य और रंगकर्म के क्षेत्र में सक्रिय लोगों को कर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस वर्ष के सम्मानित व्यक्तियों में श्रीलंका की सुगंधि, दिल्ली की ममता जयंत, छपरा की कश्मीरा सिंह, पटना की लता प्रासर, पूर्णिया की रानी सिंह, खगड़िया की साधना भगत और रंगकर्म में श्वेता सुमन शामिल हैं।

इसके अलावा महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रही रंजना सिंह (बेगूसराय), मुस्कान केशरी (मुजफ्फरपुर), नीतू भारती (खगड़िया), राजू रंजना (भागलपुर), अनुपम कुमारी (सीतामढ़ी) और रीता कुमारी (खगड़िया) को भी कर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

समागम के दौरान कई अन्य क्षेत्रों में सक्रिय व्यक्तियों को भी कर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिनमें साहित्य, रंगकर्म, समाज सेवा, शिक्षा, गायन, विधि, मानवाधिकार, पर्यावरण और कला के क्षेत्र के लोग शामिल थे।

इस कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और उपस्थित जनसमूह ने एकजुट होकर अंग प्रदेश की संस्कृति, भाषा और महापुरुषों के योगदान को सम्मान देने का संकल्प लिया।

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