बिहार में सड़कों की स्थिति में औऱ सुधार करने के लिए राज्य सरकार राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज लेगी। चूंकि इन संस्थाओं से कर्ज लेने पर कम ब्याज देना होता है, इसलिए पथ निर्माण विभाग में इसकी कवायद चल रही है कि बिहार की जरूरतों के अनुसार सड़क बनाने को कर्ज लिया जाए। जल्द ही इस बाबत औपचारिक निर्णय लिया जाएगा।
पटना से महुली के बीच बलगभग 9 किलोमीटर एलिवेटेड रोड बनाया जाना है। राज्य सरकार इसे अपने संसाधनों से बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए जाइका से कर्ज लिया जा रहा है। इसकी प्रक्रिया जारी है। पिछले वर्षों में नाबार्ड में आरआईडीएफ से पैसा लेकर कई सड़कों का निर्माण हुआ है। चार लेन के अलावा एसएच को विकसित करने से लेकर पुल व पुलिया बनाने के मद में सरकार अपनी ओर से पैसा खर्च करती है।
इसके पहले विश्व बैंक के सहयोग से फतुहा से दनियावां होते हुए बाढ़ तक जाने जाने वाली एनएच 30, पटना औरंगाबाद एनएच 98, शिवहर सीतामढ़ी जयनगर नरहिया एनएच 104, वीरपुर वीरपुर एनएच 106 के चौड़ीकरण का काम विश्व बैंक से कर्ज लेकर किया गया है। इसके अलावा भारत सरकार द्वारा जायका से सहायता लेकर पटना गया डोभी औऱ गया राजगीर बिहार शरीफ फोरलेन निर्माण स्वीकृति प्रदान की गई है।
इसके अलावा केंद्रीय सड़क कोष से राज्य की हिस्सेदारी के रूप में मिले पैसों का उपयोग सड़कों के निर्माण में किया जा रहा है। वामपंथ उग्रवाद प्रभावित जिलों में सड़क और पुलों के आधारभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण हेतु भारत सरकार की ओर से अलग से धनराशि उपलब्ध कराई गई है। बिहार सरकार की कोशिश है कि सभी संभव संसाधनों से बिहार की सड़कों को औऱ बेहतर किया जाए। इसके लिए वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लिया जा रहा है।