कथा मंच का समापन के बाद आज होगा पूर्णआहूति एवं विसर्जन
नवगछिया- महारूद्र यज्ञ समिति बड़ी घाट ठाकुरबाड़ी में यज्ञ के बारहवें दिन शिव महापुराण की कथा के अंतिम दिन वाचन करते हुए महंत सिया वल्लभ शरण महाराज जी श्री ने बारह ज्योतिर्लिंगो का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान शिवजी जहां-जहां स्वयं प्रगट हुए। उन्हीं 12 स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को पवित्र ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। इन ज्योतिर्लिंगों के न सिर्फ दर्शन करने पर शिव भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इनका महज प्रतिदिन नाम लेने मात्र से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसी के साथ ही उन्होंने भगवान शिव को प्रिय रुद्राक्ष का महत्व बताया। मत्स्य महापुराण का वाचन करते हुए विद्यावाचस्पति डॉ० श्रवण जी शास्त्री ने कहा कि इस अद्वितीय पुराण में भगवान श्रीहरि के मत्स्य अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें जल प्रलय, मत्स्य व मनु के संवाद, राजधर्म, तीर्थयात्रा, दान महात्म्य, प्रयाग महात्म्य, काशी महात्म्य, नर्मदा महात्म्य, मूर्ति निर्माण माहात्म्य एवं त्रिदेवों की महिमा आदि पर भी विशेष प्रकाश डाला गया है।
वहीं शिव पुराण के वाचक महंत सिया वल्लभ शरण महाराज को मुख्य यजमान मिलन सागर, श्री राम कथा के मुख्य यजमान अजीत कुमार पटेल तथा मत्स्य महापुराण के वाचक डॉ० श्रवण जी शास्त्री का मुख्य यजमान विश्वास झा सपत्नीक शिखा कुमारी ने उन्हें वरण आदि से सप्रेम विदाई दिया। वहीं समिति की ओर से अध्यक्ष त्रिपुरारी कुमार भारती, सचिव प्रवीण भगत, वैदिकाचार्य ललित शास्त्री, मंच व्यवस्था प्रमुख अजीत पटेल, अभिषेक के मुख्य यजमान अविनाश मिश्रा, उपाध्यक्ष संतोष यादुका, कार्यालय प्रभारी कृष्ण भगत सहित सभी सदस्यों ने अंगवस्त्र, माल्यार्पण आदि से समस्त कथावाचकों को सम्मानित किया। वहीं रूपेश भारद्वाज, केशव, कली, तन्नू, आनंद झा, केशव शास्त्री, लक्ष्मण पाठक आदि ने आध्यात्मिक झांकी प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। दूसरी ओर दिन के अभिषेक में अजीत पटेल, प्रमोद बाजोरिया, आनंद बजाज और रात्रि के अभिषेक में संतोष यादुका सपत्नीक रितु यादुका सपरिवार सहित शामिल हुए।