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नवगछिया- लगभग वर्ष 2017 से ही राजनीति में एक चेहरा अचानक से आता है और वह चेहरा देखते – देखते ही सबों के दिलों पर राज करने लगता है। हाजिर जवाबी और वाक कुशलता में महारथी हासिल उस व्यक्ति में बिना किसी डर भय के हमेशा सच बोलने की ताकत है। वह कोई और नहीं बल्कि नवगछिया में सबसे उभरता चेहरा विश्वास झा का है। इन्होंने जदयू से अपनी राजनीति की शुरूआत की थी और बहुत कम समय में जदयू को एक नये आयाम तक पहुंचाने में मदद की थी। लेकिन जदयू के युवा प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुशवाहा के निष्कासन होने से दुखी होकर इन्होंने जदयू को छोड़ दिया था। उसके बाद इन्हें राजद में पूर्व सांसद सह युवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल ने खुद पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ० तिरूपति नाथ यादव की अगुवाई में विश्वास झा के घर पर जाकर उन्हें भागलपुर जिले का प्रवक्ता मनोनीत किया था। लगातार दो बार उन्हें जिला प्रवक्ता के पद पर राजद के शीर्ष नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उन्हें संगठन में जगह दी। परन्तु कुछ महीने पहले शिक्षा मंत्री ने राम चरित मानस के चौपाईयों पर एवं सहकारी मंत्री आलोक मेहता ने ब्राह्मणों को अंग्रेजों का दलाल बता कर टिप्पणी की थी। इसी वजह से आहत होकर तत्काल उन्होंने अपने पद एवं राजद के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर खुद को राजद से अलग कर लिया। राजद ने प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर दो – चार ब्राह्मणों को रखकर खुद को ए टू जेड की पार्टी बताया है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। राजद आज भी एम वाई समीकरण व जातिवाद पर आधारित राजनीति पर भरोसा रखती है। शायद इसलिए श्री झा ने राजद को अलविदा कहा है। गौरतलब हो कि विश्वास झा शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए व्यक्तित्व हैं। लेकिन उनकी वाक कुशलता एवं बेबाक बयानबाजी को देखते हुए हर दल उन्हें अपने साथ रखना चाहती है। हलांकि श्री झा को जदयू, भाजपा और विश्व हिंदू परिषद से भी अपने टीम में शामिल होने का निमंत्रण लगातार मिल रहा है। उनके राजद के साथ छोड़ने से ब्राह्मण जाति का वोट अब राजद के खाते से बाहर हो गया है। अब यह भी देखना दिलचस्प होगा कि श्री झा किस दल को लेकर आगे बढ़ते हैं। जो कि उनकी जाति को सम्मान दृष्टिकोण से देख सके। पूछे जाने पर विश्वास ने बताया कि उन्हें राजद के नव मनोनीत प्रवक्ताओं से कोई शिकायत नहीं है। हां उन्होंने इतना जरूर कहा कि राजद संगठन नवगछिया में काफी कमजोर हो चला है। इसके जिम्मेदार दो-चार राजद के नेता ही हैं। जिन्हें इसका खामियाजा जनता के वोट से भुगतना होगा। श्री झा ने कहा कि अधिक मास के समाप्त होते ही वे अपना निर्णय सार्वजनिक करेंगे कि उन्हें राजनीति करनी है या नहीं।

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