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नवगछिया : कल का गुवारीडीह जंगल आज सेल्फी स्पॉट बन गया है. रोजाना सौ से अधिक लोग पुरावशेषों का मुआयना करने आ रहे हैं. गुवारीडीह कल तक निर्जन था लेकिन आज कल दिन भर लोगों और पुलिस प्रशासन की आवाजाही से गुलजार रहता है. यह देख गुवारीडीह सभ्यता की खोज करने वाले अविनाश उर्फ गंगा जी फूले नहीं समा रहे हैं. उनकी मेहनत रंग लायी है. अविनाश ने वैसे लोगों के मुंह पर ताला लगा दिया है जो नवगछिया अनुमंडल की ऐतिहासिकता को कमतर और बालू पानी से ज्यादा नहीं आंकते थे. लेकिन आज अविनाश की मेहनत और लगन के बदौलत गुवारीडीह का कोसी कछार चीख चीख कर अपनी हजारों वर्ष पुरानी ऐतिहासिकता को बयां कर रहा है.

अविनाश 2 वर्ष पहले की बात करते हुए बताता है कि जब उसे लगा कि गुवारीडीह में कुछ न कुछ विशेष है तो वह कट रहे टीले की तलहटी में जा कर घंटों बिताने लगा. इसी क्रम में कुछ अजीबोगरीब अवशेष उसके हाथ लगने लगे. वह अवशेषों को घर ले आता. जब कुछ अवशेष इकट्ठा हो गए और वे खोज में निरंतर जाने लगे तो लोगों ने मजाक बनाना शुरू कर दिया. लोग कहते थे झिटकी खपड़ा चुनने के लिये जा रहा है, अब गंगी दा (अविनाश के गांव का नाम) को यही काम बच गया है. अविनाश बताते हैं कि वाकई लोगों का इस तरह का मजाक हौसला तोड़ने वाला था. लेकिन उसके कुछ दोस्तों ने उस पर विश्वास किया और गुवारीडीह में चल रहे सर्च अभियान में उसका साथ दिया. फिर तो अविनाश के नेतृत्व में 5 से 7 लड़कों की एक टीम बन गई फिर इसी कारवां ने गुवारीडीह को मंजिल तक पहुंचा दिया. गुवारीडीह सभ्यता की खोज में सहयोग करने वाले पैक्स अध्यक्ष विकास कुमार, अंकित कुमार, सुधांशु कुमार कुक्कू, राजीव साह, विपिन सिंह, साहेब चौधरी और राजा कुमार का नाम लेना नहीं भूलते हैं. अविनाश बताते हैं कि उनके दोस्त ही उनकी ताकत है.अविनाश ने अपने मुर्गी फार्म को एक संग्रहालय में तब्दील कर दिया है. करीब 5 कुंतल दुर्लभ पूरा विशेष अविनाश के मुर्गी फार्म में है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन के बाद से कई लोग अविनाश के मुर्गी फार्म पर पहुंचते हैं और पुरावशेषों को दिखाने की जिद करते हैं तो इन दिनों अविनाश पूरा वर्षों के अवलोकन के लिए कोई खास दिन निर्धारित करते हैं और फिर वह लोगों को पुरावशेषों को दिखाते हैं और उसके बारे में जानकारी भी देते हैं. अविनाश कहते हैं कि इस कार्य में उनका नुकसान भी होता है. लेकिन वे जानते हैं उनकी मेहनत तभी सफल होगी जब लोग इन पुरावशेषों के बारे में जानेंगे.

अविनाश चार भाई हैं. स्कूली पढ़ाई गांव से ही की और इंटर की पढ़ाई जयप्रकाश महाविद्यालय नारायणपुर से पूरी की. इसके बाद कई वर्षों तक अविनाश सेना में भर्ती होने और अन्य सरकारी नौकरी के लिए परीक्षाओं की तैयारी करने लगे. जब सफलता हाथ नहीं लगी तो जयरामपुर हाई स्कूल के पीछे एक मुर्गी फार्म खोल लिया. अविनाश कहते हैं कि मुर्गी फार्म का धंधा एक कच्चा धंधा है. इसमें हर बार मुनाफा ही होगा यह जरूरी नहीं है. अत्यधिक ठंड या फिर अत्यधिक तपिश में नुकसान हो ही जाता है. कुल मिलाकर दाल रोटी का जुगाड़ हो जाता है. अविनाश कहते हैं कि जीवन में काफी पैसा कमाना उनका मकसद नहीं है. वह लोगों की सेवा करना चाहते हैं. उनका गांव, उनका इलाका विकास की मुख्यधारा से जुड़े यह उनकी चाहत है.अविनाश कहते हैं कि उन्होंने बहुत सारा पुरावशेष इकट्ठा कर लिया था. लेकिन कोई इसे तवज्जो ही नहीं दे रहा था. लेकिन जब 9 फरवरी 2020 को उनकी पहली खबर प्रभात खबर के पहले पृष्ठ पर छपी तो उन्हें लगा कि अब मंजिल दूर नहीं है. फिर तो प्रभात खबर में एक के बाद एक खबर प्रकाशित हुई जिसके उनके टीम का हौसला परवान चढ़ता रहा. अविनाश बताते हैं कि गुवारीडीह की खोज में प्रभात खबर की भूमिका अविस्मरणीय है. जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. दूसरी तरफ बिहपुर विधानसभा के विधायक इंजीनियर कुमार शैलेन्द्र ने उन लोगों की मेहनत को मुख्यमंत्री के कानों तक पहुंचाया और गुवारीडीह की ऐतिहासिकता से उन्हें अवगत कराया और उनका गुवारीडीह आना तय हुआ.

भले ही गुवारीडीह में पीने लायक पानी की भी व्यवस्था ना हो लेकिन दूर दराज से लोग इस स्थल को देखने पहुंचने लगे हैं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के जाने के बाद अब पुलिस की उपस्थिति दियारा इलाके में है. जिससे अपराधी पलायन कर गए हैं और किसान भयमुक्त होकर अपने खेतों पर जा रहे हैं. इस बार बेरोक तो किसानों की फसल घर आने की उम्मीद है. कोसी की धारा को मोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. अगर धारा मुड़ जाती है तो 5000 एकड़ उपजाऊ जमीन कोसी नदी के कटाव की भेंट चढ़ने से बस जाएंगे. पुरातत्व विभाग पटना की टीम विगत 5 दिनों से लगातार गुवारीडीह का सर्वे कर रही है. जिसमें अविनाश की टीम सर्वे कर रहे लोगों का सहयोग कर रही है. गुवारीडीह में थाना खुलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.

बिहपुर विधानसभा के विधायक इंजीनियर कुमार शैलेंद्र ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार गुवारीडीह और अविनाश द्वारा संग्रहित किए गए पुरावशेषों देखा तो वे आश्चर्यचकित हो गए. उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को दी. विधायक ने कहा कि वास्तव में अविनाश का कार्य काबिले तारीफ और सम्मानीय है. अविनाश ने यह भी साबित कर दिया कि कोई भी काम अगर मेहनत और लगन से किया जाए तो सारी कायनात उसे मंजिल तक पहुंचाने में लग जाती है.

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