पटना 25 दिसम्बर। भागलपुर जिले के खरीक प्रखण्ड के ग्राम- भवनपुरा (मां जलेश्वरी दुर्गा मंदिर परिसर ) में क्षत्रियों की एक बैठक विनीत कुमार सिंह उर्फ बंटी सिंह बुंदेला की अध्यक्षता में आयोजित की गई। क्षत्रिय बैठक का संचालन केशव कुमार सिंह बुंदेला ने किया । क्षत्रिय बैठक के मुख्य अतिथि राय साहब सिंह सोमवंशी प्रकाशक-क्षत्रिय वंशार्णव निवासी जिला-प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश )रहे।
क्षत्रिय बैठक को संबोधित करते हुए राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि क्षत्रिय जागरण हेतु कौन त्यागी वीर राजपूत(क्षत्रिय )आगे आएगा? उन्होंने कहा कि बिना किसी महापुरुष के नेतृत्व से संगठन संभव नहीं है। राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि महापुरुष वह विभूतियां हैं जिनके उत्तम उद्देश्य उसकी कृतियों को मूर्तिमान करते हैं उन्होंने कहा कि उन कृतियों की पूजा ही उस महापुरुष की पूजा है राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि किसी की पूजा का अर्थ है उसकी कृतियों और सिद्धांतों को अपने आचरण में ढाल लेना। राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि किसी का नाम रटना ही उसकी भक्ति कदापि नहीं है वल्कि उसके सिद्धांत और नियमों का पालन नाम रटने से श्रेष्ठ है। राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि समाज की सेवा करने वाले लोग चार प्रकार के होते हैं पहला धार्मिक दूसरा आर्थिक तीसरा राजनैतिक चौथा सामाजिक। इनमें से राजनैतिक अपने जीवन में आदर प्राप्त कर लेता है और वह राजपुरुष या अधिकारी के रूप में समाज को उन्नति के पथ पर ले जाता है । उन्होंने कहा कि आर्थिक पुरुष अपने धन द्वारा समाज की सेवा करता है और सामाजिक आदर पाता है। राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि समाज सेवी लोग तत्कालीन सामाजिक प्रथाओं को प्रभावित करते हैं अनावश्यक रूढ़िवादिता और कुरीतियों में सुधार करते हुए समाज को नई और उत्तम दिशा देते हैं उन्होंने कहा कि ऐसे लोग शताब्दियों तक जनमानस में जीवित रहकर उच्चादर्श की प्रेरणा देते हुए पूज्य बन जाते हैं। राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि धार्मिक पुरुष यदि वह समाजसेवी और राजनैतिक भी है तो युगो तक पूजा जाता है। राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी और भगवान श्री कृष्ण धार्मिक सामाजिक और राजनैतिक सेवा करके युगो तक अमर और पूज्य बन गए।
उन्होंने कहा कि इन्हीं के आदर्शों पर चलकर क्षत्रिय कुल शिरोमणि शूरवीर महाराणा प्रताप सिंह और छत्रपति शिवाजी ने सामाजिक राजनैतिक और धार्मिक सेवाएं करके बलिदानी जीवन की प्रेरणा समाज को दिया उन्होंने कहा कि बिना बलिदानी जीवन के स्वातंत्र रक्षा कदापि संभव नहीं है यह प्रेरणा और क्रियात्मक सिद्धांत राणा जी तथा शिवाजी से लेकर बाल गंगाधर तिलक मदन मोहन मालवीय पंडित मोतीलाल जी विश्व बंधु बापू आदि ने बलिदानी जीवन के क्षेत्र में प्रवेश किया और राष्ट्र की खोई हुई स्वतंत्रता प्राप्त कर लिया राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने बलिदान से राष्ट्र को स्वातंत्र दान दिया राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि नैतिक चारित्रिक सामाजिक और धार्मिक पतन के वर्तमान युग में कौन आएगा इसमें सुधार करने? राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि वर्तमान शासन के कुछ स्वार्थी और भ्रष्ट नेताओं से इस देश में होने वाले लूट – खसोट से बचाने कौन आएगा। राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि भारतवर्ष की प्राचीन परंपरानुसार क्षत्रिय ही राजनैतिक वर्ण रहा है जो इस देश को वाह्य और आंतरिक आघातों से रक्षा करता रहा है। उन्होंने कहा कि इस समय घोर आंतरिक आघात देश के जनजीवन पर पड़ रहा है जो शासन की कुर्सी पर से नहीं वरन गहन आंतरिक क्षेत्रों में घूम कर देखा जा सकता है इन परिस्थितियों में से उबारने वाला कौन है उन्होंने कहा कि इस प्रजातंत्र शासन में अधिकारियों के निरंकुशता बढ़ती जा रही है इस प्रजातंत्र की रक्षा करने हेतु कौन आगे आएगा राय साहब सिंह सोमवंशी ने कहा कि यदि महंगाई भ्रष्टाचार इसी अनुपात से बढ़ता रहा तो अमीरों गरीबों की अंतरिक खाईं और अधिक गहरी हो जाएगी उन्होंने कहा कि गरीबी मिटाओ का भ्रष्टऔर आकर्षक नारा एक छलावा मात्र ही प्रतीत होता है इन सब को देखते हुए हम उन महापुरुषों का आवाहन करते हैं जो प्रतिक्षण गति हीन होती हुई राजनीति धर्मनीति और सामाजिक अखंडता को गतिशीलता प्रदान करे । उन्होंने कहा कि धैर्य क्षत्रिय जीवन की प्रमुख महानता है उन्होंने कहा कि समस्याओं और यौध्धिक संकट के समय जो धैर्य के साथ साहस से पूर्ण रहता हुआ, अडिग, अविचल और चरम उद्देश्यों पर जो दृढ रहता है वही क्षत्रिय कहलाने का अधिकारी है उन्होंने कहा कि कायरो और निकृष्ट लोगों में इस गुण का पूर्ण आभाव रहता है उन्होंने कहा कि धैर्य से ही वीर चरम लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। राय साहब सिंह सोमवंशी ने संपूर्ण भारत वर्ष के क्षत्रियों से संगठित होने तथा मांस मदिरा का सेवन बंद करने तथा भारत सरकार से भारतवर्ष को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की अपील किया। क्षत्रिय बैठक को संबोधित करते हुए क्षत्रिय बैठक की अध्यक्षता कर रहे विनीत कुमार सिंह उर्फ बंटी सिंह बुंदेला ने कहा कि भारत का इतिहास क्षत्रियों का इतिहास और क्षत्रियों का इतिहास ही भारत का गौरवशाली इतिहास है उन्होंने संपूर्ण भारतवर्ष के क्षत्रियों से संगठित होने तथा मांस मदिरा का सेवन बंद करने एवं भारत सरकार से भारतवर्ष को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की अपील किया ।
इस अवसर पर केशव कुमार सिंह बुंदेला, मधुसूदन सिंह बुंदेला, चंद्र भूषण सिंह परमार, विभाष चंद्र सिंह बुंदेला, अवधेश कुमार सिंह बुंदेला, गजाधर सिंह बुंदेला, विजय सिंह बुंदेल, सुमंत प्रसाद सिंह बुंदेला, घनश्याम प्रसाद सिंह कर्मवार, कैलाश प्रसाद बुंदेला, आनंद कुमार सिंह बुंदेला, बादल कुमार सिंह बुंदेला, मिलन कुमार सिंह बुंदेला, मोनू कुमार सिंह बुंदेला, प्रिंस कुमार सिंह बुंदेला, विश्वजीत सिंह बुंदेला, मोनल सिंह बुंदेला, विश्वजीत सिंह बुंदेला, उज्जवल सिंह बुंदेला , अमिष सिंह बुंदेला, रोशन कुमार सिंह बुंदेला, विनोद कुमार सिंह परमार, धनंजय कुमार सिंह परमार, चंद्रहास सिंह बुंदेला, विनीत कुमार सिंह उर्फ बंटी सिंह बुंदेला आदि कई लोग उपस्थित रहे।