

भागलपुर, मायागंज के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के दौरान एक घंटे में पांच मरीजों की मौत हो गई। यह घटना अस्पताल के फैब्रिकेटेड वार्ड में हुई, जिसके बाद मृतकों के परिजनों ने जमकर हंगामा किया और अस्पताल प्रशासन की कुव्यवस्था पर सवाल उठाए। तीन मृतकों के परिजनों ने डॉक्टरों को बंधक बना लिया और अस्पताल में तोड़फोड़ करने की कोशिश की।
घटना की शुरुआत उस समय हुई जब कन्हैया पासवान, जो कि एक फल विक्रेता थे, अचानक अचेत होकर मायागंज अस्पताल लाए गए थे। उन्हें फैब्रिकेटेड वार्ड में भर्ती किया गया, लेकिन गेट तक पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में हंगामे के बीच किसी ने उनकी मदद नहीं की और इलाज से पहले ही उनकी सांसें थम गईं।
वहीं, दूसरी घटना में, विनोद राम नामक व्यक्ति, जो कि मामूली शिकायत लेकर अस्पताल आया था, इलाज के दौरान अपनी जान गंवा बैठा। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने उचित इलाज नहीं किया और सही सलाह नहीं दी, जिससे उसकी हालत बिगड़ी और अंत में मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टर को बंधक बना लिया और हंगामा शुरू कर दिया।
तीसरी घटना किरण देवी की थी, जिनकी मौत पेट में दर्द की वजह से इलाज के दौरान हो गई। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में समुचित इलाज नहीं हुआ और गलत इंजेक्शन की वजह से उनकी मौत हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि गार्ड ने यह तक कह दिया था कि यह मरने का स्थान है, जहां कोई इलाज नहीं किया जाता।
इन घटनाओं के बाद, अस्पताल में पुलिस की तैनाती की गई और अस्पताल परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया। परिजनों ने बार-बार आरोप लगाया कि अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सों की लापरवाही के कारण मौतें हुईं। उनका कहना था कि सुई और दवाइयाँ गलत मरीजों को दी जा रही थीं, जिसके परिणामस्वरूप मौतें हुईं।
अस्पताल प्रशासन अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान देने से बच रहा है, जबकि स्थानीय पुलिस मामले की जांच कर रही है।
यह घटना अस्पताल की कुव्यवस्था और इलाज की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठाती है और यह दर्शाती है कि भागलपुर के सबसे बड़े अस्पताल में इलाज में घोर लापरवाही हो रही है।