प्रदीप विद्रोही
भागलपुर के कहलगाँव अनुमंडल के बिरबन्ना गांव में मछुओं के बीच परिधि द्वारा गांधी शहादत दिवस मनाया गया। इस आयोजन में गंगा मुक्ति आंदोलन, जल श्रमिक संघ और बिहार प्रदेश मत्स्यजीवी जल श्रमिक संघ के सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान गांधी जी के जीवन और उनके योगदान के अनछुए पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई, और समाज को गांधी जी के सिद्धांतों के पालन के लाभों के बारे में बताया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में परिधि के निदेशक उदय ने गांधी जी के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “गांधी जी का सपना था कि एक ऐसा लोकतंत्र बने, जिसमें हर व्यक्ति की समान भागीदारी हो, विशेषकर वे लोग जो समाज में ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर थे। गांधी जी का जीवन इस बात का प्रतीक था कि एक सशक्त लोकतंत्र में सबको समान अधिकार और अवसर मिलें। गांधी जी का बलिदान उसी उद्देश्य के लिए था, ताकि हम एक बराबरी आधारित लोकतंत्र में रह सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि गांधी जी की शहादत ने समाज को एक नया दृष्टिकोण दिया, जिसमें हर नागरिक को बराबरी के अधिकार मिलें और शोषण और भेदभाव का अंत हो। आज भी गांधी जी के सिद्धांतों को हमें अपनी जिंदगी में अपनाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर जल श्रमिक संघ के प्रांतीय संयोजक और कहलगांव नगर पंचायत के वार्ड पार्षद योगेन्द्र सहनी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा, “गांधी जी के नेतृत्व में मछुआ समाज को लोकतांत्रिक अधिकार मिले और आज हम उसी अधिकार का उपयोग कर अपनी आजीविका की लड़ाई लड़ रहे हैं। गांधी जी का योगदान हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा कि हम अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें और समाज में समानता और न्याय की स्थापना करें।”
योगेन्द्र सहनी ने आगे कहा कि आज़ादी के आंदोलन, संविधान और गांधी जी के विचारों के कारण मछुआ समाज आज अपने हक के लिए आवाज उठा रहा है और अपने अधिकारों की लड़ाई लोकतांत्रिक तरीके से लड़ रहा है।
इस कार्यक्रम में नन्द लाल महत, शंभू महतो, अर्जुन महतो, सुदामा महतो, उर्मिला देवी, बसंती देवी सहित कई अन्य लोग उपस्थित थे। गांधी शहादत दिवस के इस आयोजन ने लोगों को गांधी जी के विचारों से जुड़ने और समाज में समानता और न्याय की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया।