नवगछिया : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नवगछिया के मदन अहिल्या कॉलेज में बुधवार को कॉलेज अभाविप का कार्यकर्ता दीपा कुमारी के नेतृत्व में बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि पर सामाजिक समरसता दिवस पर पुष्पांजलि एवम् संगोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित किया गया । बाबा साहब अपने जीवन काल में बहुत सारे कठिनाइयों का सामना किया उन्होंने तभी ठान लिया था की समाज की इस कुरीति से मुक्ति दिलाने के लिए तत्पर रहेंगे। डॉ रिंकू रॉय नें बताया कि भारत में हर साल 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्य तिथी है, उनकी याद में महापरिनिर्वाण दिवस जाता है. बौद्ध अनुयायियों के अनुसार डॉ अंबेडकर भी अपने कार्यों से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं. इसलिए उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, समाज में व्याप्त छूआछूत, दलितों, महिलाओं और मजदूरों से भेदभाव जैसी कुरीति के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले बाबा साहेब को भारतीय संविधान का आधार स्तंभ माना जाता है ।भारत रत्न भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथी पर हम उनके प्रेरणादायक विचारों को याद कर रहे हैं।
वर्षा ने बताया कि वह समाज सुधारक होने के साथ न्यायविद, अर्थशास्त्री और राजनीतिक व्यक्ति थे उनके पास अलग अलग 32 डिग्री थी। सपना सिंह ने बताया डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथी को महापरिनिर्वाण इसलिए कहते हैं उनके अनुनायियों का मानना है कि डॉ अंबेडकर बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे. उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन दलित उत्थान के लिए अर्पित कर दिया था ।
दीक्षा महाविद्यालय की छात्रा ने कहा की इनके विचार को अपने जीवन में उतारना चाइए वह आजाद देश के पहले कानून मंत्री बने उन्होंने हमेशा श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकार के बारे में बात की है। अंत में आरती और प्रियांशु कुमारी ने कहा की आज की बाबा साहब का विचार था की शिक्षा जितना पुरुषों के लिए जरूरी है उतना ही महिलाओं के लिए भी जरूरी है समाज में व्याप्त छूछाछूत, दिलितों के उत्थान, महिलाओं और मजदूरों से भेदभाव जैसी कुरीति के खिलाफ अवाज बुलंद करने वाला बाबा साहब को भारतीय संविधान का स्तंभ माना जाता है।
मौके पर दीपा, आरती,दीक्षा, वर्षा,सपना, मिना,निक्की आदि उपस्थित रहे।