नवगछिया : वानममलैमठ नांगुनेरी तमिलनाडु के 31वें पीठाधिपति मधुरकवि रामानुज जीयर स्वामी, तोताद्रि स्वामी महाराज रथ पर सवार होकर जैसे ही तेतरी दुर्गा मंदिर पहुंचे, हजारों की संख्या में लोगों ने फूल बरसाकर स्वागत किया . उनके साथ उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के पीठाधीश्वर बाल ब्रह्मचारी स्वामी अनन्ताचार्य महाराज और स्वामी आगमानंद महाराज थे.
मंच पर रामानुज जीयर तोताद्रि महाराज आसन की ओर बढ़ रहे थे उसी समय माधवानंद ठाकुर ने हे जी आओ सतगुरु महाराज, बिराजो आसन पे, पधारो आसन पे भजन गाना शुरू कर दिया . इस दौरान स्वामी अनंताचार्य और स्वामी आगमानंद रास्ते में पुष्प बिछा रहे थे. यह दश्य देखकर सभी भावविह्वल हो गए . सभी ने एक साथ गुरुदेव भगवान का जयकारा शुरू कर दिया .योगपीठ में रामानुज जीयर स्वामी तोताद्रि महाराज की पूजा स्वामी अनंताचार्य और स्वामी आगमानंद ने की .
रामानुज जीयर स्वामी, तोताद्रि के चरण पादुका को दोनों संतों ने अपने सिर पर रखा . स्वामी आगमानंद ने काफी भावुक होकर कहा- हमारे गुरुदेव ने हम पर बड़ी कृपा की है, जो इस दास को अपना सानिध्य दिया. योगपीठ में पांच सौ ज्यादा लोग तीनों संतों के दर्शन करने पहुंचे .
एक साथ तीनों संतों का सानिध्य पाकर सभी धन्य हो गए . सभी ने चरण पादुका का पूजन किया और दर्शन किया . स्वामी आगमानंद ने कहा कि आज योगपीठ धन्य हो गया . ऐसे संतों के यहां चरण पड़े हैं जिनके दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं . रामानुज जीयर तोताद्रि स्वामी ने गीता के श्लोक यदा—यदा श्री धर्मस्य ने अपना संबोधन शुरू किया .
कहा कि ईश्वर और संत का अवतार तभी होता है, जब देश व समाज को उसकी जरुरत हो . स्वामी अनंताचार्य महाराज ने कहा तोताद्रि स्वामी के आगमन से योगपीठ धन्य हुआ . वे पहली बार बिहार आए हैं . उनका सानिध्य मिल जाना किसी पुण्य से कम नहीं है . दोनों संतों ने स्वामी आगमानंद की सेवा भावना और कार्य संयोजन से प्रभावित होकर खूब आशीर्वाद दिया . सभी ने एक साथ अखंड भारत के निर्माण का संकल्प लिया .