नवगछिया: – सनातन धर्म में लोक आस्था के महापर्व छठ का खासा महत्व है कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा का मुख्य पर्व मनाया जाता है. इस दिन अस्त होते सूर्य को सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है सूर्य देव को समर्पित चार दिवसीय त्योहार के तीसरा दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने अस्ताचलगामी डुबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया इस दौरान छठ घाटो पर खासा उत्साह दिखा छठ व्रतियों छठ कि पारंपरिक गीतों से महौल भक्तिमय बना इस अवसर पर श्री सद्गुरु साईंनाथ सेवा समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शुभम यादव ने सहौरा -मदरौनी छठ घाट पर भगवान भास्कर को अर्घ्य कर अमन चैन खुशहाली सुख समृद्धि कि मंगलकामना किया वहीं उन्होंने ने बताया कि.
हिंदू परंपरा में छठ एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें शाम के समय यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सांयकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस समय सूर्य की पूजा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है एंव सप्तमी तिथि सोमवार को छठ घाट पर उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित के साथ लोक आस्था के महापर्व का समापन हो गया और छठ व्रतियों व श्रद्धालुओं प्रसाद ग्रहण किया ।