नारायणपुर – भवानीपुर थाना क्षेत्र के मौजमा गांव निवासी विवेकानंद पासवान का पुत्र प्रशांत कुमार उर्फ राजगीर (27) ने पटना के शास्त्री नगर थाना क्षेत्र के पुनाईचक के एक लाॅज में शनिवार की रात्रि फांसी लगाकर कर आत्म हत्या कर ली थी . रविवार को पुलिसिया प्रक्रिया के बाद पटना के गंगा नदी किनारे बांस घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. मुखाग्नि छोटे भाई सत्यम कुमार ने दी. शनिवार से ही सूचना पाकर रिश्तेदारों का मौजमा आवास में आना जारी है .घटना की सूचना पर मौजमा में मातम छाया हुआ है. हर कोई प्रशांत के स्वभाव से वाकिफ था.वह काफी मिलनसार व होनहार युवक था. ग्रामीण अंजय शर्मा ने बताया कि कौन जानता था कि सोशल मीडिया पर हंसाने वाला रील बनाकर लोगों का मनोरंजन करने वाला प्रशांत आत्महत्या कर लेगा. वह जब भी पटना से घर आता तो आस-पड़ोस के लोगों से मिले बिना नहीं रहता था.
ग्रामीणों का कहना है कि विवेकानंद पासवान मेहनत मजदूरी करके अपने आठ बच्चों को पेट काटकर पढ़ाया लिखाया है. बड़ा बेटा राजकुमार पासवान पटना सचिवालय में नौकरी करता है. विवाहित पुत्री पटना में बिहार पुलिस है. अन्य बच्चें सरकारी या गैर सरकारी में नौकरी करते है या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते है. आठ भाई बहनों में चौथे व भाईयों में तीसरे स्थान पर रहे प्रशांत ने स्नातक तक पढ़ाई की थी. वह आईटीआई क्वालिफाइ छात्र था. पड़ोसी उत्तम शर्मा ने बताया कि प्रशांत रेलवे ग्रूप डी का परीक्षा निकाल चूका था. वह दौड़ में असफल हो गया था. वह बड़ी तन्यमता से दारोगा का इग्जाम क्वालिफाइ कर चूका था लेकिन दौड़ में छह सेंकेंड से पीछे रहने पर वह दारोगा बनने से चूक गया था. जिससे उसे काफी निराशा हुई. इससे पहले वह एनटीपीसी का परीक्षा भी पास कर चूका था लेकिन तकनीकी कारणों से यहां भी वह चूक गया था. हलांकि वह नियमित पढ़ाई जारी रखा था. मौजमा ने एक होनहार युवक खोया है.माता पिता को छोड़कर सभी परिजन पटना में ही रहते हैं. प्रशांत अंतिम बार 11अगस्त को बिहार पुलिस का परीक्षा देकर 12 अगस्त को मौजमा स्थित अपने घर आया था. जहां मां- पिता से अंतिम बार मुलाकात हुई थी. दाह-संस्कार कर परिजन लौटे घर – पटना में राजगीर का दाह-संस्कार कर परिजन रविवार की रात्रि इंटरसीटी एक्सप्रेस से वापस मौजमा गांव आया. जहां परिजनों के चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया. मां रेणू देवी, पिता विवेकानंद पासवान, भाई राजेन्द्र, सत्यम, शुभांकर सहित अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.