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सौ गोल्ड, सिल्वर मेडल, ओलंपिक में हिस्सा लेने की कर रही तैयारी

@ ताजा उपलब्धि में तीन दिवसीय इंटर कॉलेज यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स चैंपियनशिप के सीनियर महिला वर्ग के 400 सौ, 200 सौ व 100 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीत कर दीप्ति ने तहलका मचा दी। बेस्ट एथेलेटिक्स ट्रॉफी के साथ 400 व 100 मीटर रिले दौड़ में भी दीप्ति की टीम को गोल्ड मिला।

प्रदीप विद्रोही
भागलपुर : महज 21 की उम्र को छू रही भागलपुर स्थित कहलगांव के एक छोटे से कस्बे किशनदासपुर की उड़नपरी एथेलेटिक्स दीप्ति के घर का एक कमरा मेडलों से भर चुका है। पिछले पांच वर्षों के दरम्यान जिला और स्टेट लेवल के स्कूल व कॉलेज के गेम्स में दीप्ति की यह उपलब्धि उसके संघर्ष की कहानी पर भला कौन नहीं गर्व करेगा। गोल्ड, सिल्वर मेडल के अलावा बेस्ट एथेलेटिक्स के ट्रॉफी से सजा है दीप्ति का घर। करीब डेढ़ सौ मेडल से भरा है दीप्ति के घर का दो आलमीरा। छोटी सी किराने की दुकान और महज एक छोटे से जमीन के टुकड़े पर खाने लायक खेती करने वाले पिता श्रवण जायसवाल व माता ललिता देवी अपनी लाडली दीप्ति की इस उपलब्धि यानी उड़ान से फुले नहीं समा रही है और दो टूक कहती है किसी की नजर न लगे मेरी लाडली को। उसका यह फर्राटा आसमान छूने तक अनवरत जारी रहे। दीप्ति कहती है मेरे सारे मेडल मां, पिताजी, दीदी ब्यूटी व जीजा जी दीपक को समर्पित है। इनके संयुक्त हौसला अफजाई के कारण ही आज हम इस मुकाम पर हैं। आगे का सफर यानी देश के लिए खेलना भी अपने परिवार व कोच के आशीर्वाद से ही पूरा करूंगी।
उड़नपरी दीप्ति की ताजा उपलब्धि में आरा स्थित वीकुंवर सिंह यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित इंटर कॉलेज यूनिवर्सिटी एथेलेटिक्स गेम्स 2024 के तीन प्रतिस्पर्धा में गोल्ड लेकर तहलका मचा देने की चर्चा भागलपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में हो रही है। इतना ही नहीं इस गेम्स में दीप्ति को बेस्ट एथेलेटिक्स का ट्रॉफी भी मिला। 400 व 100 मीटर रिले दौड़ में भी दीप्ति की टीम को गोल्ड मेडल से नवाजा गया। मालूम हो कि इस प्रतिस्पर्धा में प्रदेश के सभी यूनिवर्सिटी से सैकड़ों की संख्या में महिला एथलेटिक्स ने हिस्सा लिया था। तीन दिवसीय इंटर कॉलेज एथलेटिक्स चैंपियनशिप के सीनियर महिला वर्ग के 400 सौ, 200 सौ व 100 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीत कर तहलका मचा दी। 400 व 100 मीटर रिले दौड़ में भी दीप्ति की टीम को गोल्ड मिला।
मालूम हो कि दीप्ति 2015 ई में अपने इकलौते सगे भाई की अकाल मौत के बाद टूट सी गई थी। पश्चात उसने खेल मैदान का साथ नहीं छोड़ा। दो वर्ष की कठिन अभ्यास व खुद के प्रयास से उड़नपरी पीटी उषा के प्रशिक्षण संस्थान में अपनी जगह बनाई थी। वहीं अभ्यास में भी लगी थी। कुछ दिन पूर्व ही पीटी उषा ने उसे गोची वोली स्टेडियम, हैदराबाद (उत्तराखंड) अभ्यास के लिए भेज दिया था। फिलहाल वह पटना में ख्याति प्राप्त कोच के अधीन रहकर अपनी आगे की तैयारी कर रही है।


मालूम हो कि दीप्ति जब स्थानीय एसएसवी कॉलेज में अध्ययनरत थी तो एनसीसी कैडेट के रूप में 2018 में दिल्ली राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रपति को सलामी दी थी। इसके अलावे विभिन्न खेलों में बेहतर प्रदर्शन के लिए पीएम नरेंद्र मोदी व बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद के हांथों भी सम्मानित हो चुकी है। दीप्ति एसएसवी कॉलेज, कहलगांव से अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पॉलिटिकल साइंस (ऑनर्स) से पूरी कर फिलहाल पटना में अभ्यासरत है। दीप्ति स्कूल से लेकर कॉलेज की पढ़ाई में भी अव्वल रही है।
बहरहाल, गरीब घर – परिवार में जन्मी दीप्ति संसाधन के अभाव से जूझते हुए अपने अभ्यास को पंख देने में जुटी है। पिता द्वारा भेजे चंद रुपयों के भरोसे सुबह, दोपहर, देर शाम तक पटना के मैदान में घंटों दौड़ लगाती रहती है। पसीना बहाती रहती है। डाइट, ड्रेस, शूज के अभाव से जूझती अभ्यास के बाद जब वह सुस्ताती होगी तो आसमान को निहारती उसकी उदास व शून्य आंखों में किसी के मदद की आस में हौले से कुछ बोलती तो होगी ही। फिलवक्त, दीप्ति कभी मदद का इजहार नहीं करती है। दीप्ति कहती है मेरा लक्ष्य आने वाले ओलंपिक प्रतिस्पर्धा में देश का नाम रौशन करने की है। जिसके लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हूं। देखती हूं मेरी यह मुराद कब पूरी होती है।

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