भागलपुर : प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम पर 144 साल बाद आयोजित महाकुंभ मेले में इस बार देशभर की लोक कलाओं की विशेष झलक देखने को मिल रही है। भारत सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्रालय द्वारा महाकुंभ में लोक कलाकारों को अपनी सांस्कृतिक पहचान दर्शाने के लिए 8 ज़ोन में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। इसी कड़ी में बिहार की प्रसिद्ध मंजूषा और मधुबनी पेंटिंग्स से कला आंगन को भव्य रूप से सजाया गया है।
अंगजनपद भागलपुर की प्रसिद्ध मंजूषा लोक कला को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया है, जिसमें समुद्र मंथन से जुड़े चित्रों को उकेरा गया है। माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों में अमृत और विष की उत्पत्ति हुई थी, जिसे मंजूषा कला के माध्यम से दर्शाया गया है।
महाकुंभ में भागलपुर से पहुंचे मंजूषा कलाकार पवन सागर ने बताया कि इस ऐतिहासिक मेले में देशभर की लोक कलाओं को मंच देने का भारत सरकार का यह एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि मंजूषा, मधुबनी और वर्ली पेंटिंग्स समेत विभिन्न लोक कलाओं का प्रदर्शन कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
महाकुंभ में बिहार की लोककला को मिली इस पहचान से कलाकारों में खासा उत्साह है और वे इस अवसर को अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार का सुनहरा अवसर मान रहे हैं।