कार्यों पर मॉक ड्रिल का आयोजन किया
@ कृत्रिम रूप से 2 कोचों को पटरी से उतारा गया. इन कोचों को जमालपुर यार्ड के पास पलटाया गया और तुरंत आपातकालीन स्थिति का सायरन बजाया गया. सायरन सुनते ही विभिन्न विभागों के अधिकारी बचाव कार्य में जुट गए. सभी संबंधित विभागों को सतर्क कर स्थिति को संभालने के लिए त्वरित कदम उठाए गए. लगभग 100 रेलवे कर्मचारी इस व्यापक अभ्यास में शामिल हुए.
भागलपुर : मालदा मंडल की आपदा प्रबंधन क्षमता को बढ़ाने के प्रयास के तहत, मालदा मंडल के सुरक्षा विभाग ने वरिष्ठ मंडल सुरक्षा अधिकारी, मालदा बीबीपी कुशहावाहा के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के सहयोग से जमालपुर रेलवे स्टेशन यार्ड में शुक्रवार को एक पूर्ण पैमाने की मॉक ड्रिल आयोजित की. इस अभ्यास का उद्देश्य आपातकालीन बचाव कार्यों के दौरान विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय और तत्परता बढ़ाना था.
दो घंटे की इस मॉक ड्रिल की निगरानी मंडल रेल प्रबंधक (DRM) मनीष कुमार गुप्ता ने की.
ड्रिल के हिस्से के रूप में, ट्रेन संख्या 00343 डाउन जमालपुर (JMP) – भागलपुर (BGP) विशेष यात्री ट्रेन को जमालपुर से प्रस्थान कराते हुए 12:00 बजे के करीब कृत्रिम रूप से 2 कोचों को पटरी से उतारा गया. इन कोचों को जमालपुर यार्ड के पास पलटाया गया और तुरंत आपातकालीन स्थिति का सायरन बजाया गया. सायरन सुनते ही विभिन्न विभागों के अधिकारी बचाव कार्य में जुट गए. सूचना संबंधित अधिकारियों और एनडीआरएफ को दी गई. सभी संबंधित विभागों को सतर्क कर स्थिति को संभालने के लिए त्वरित कदम उठाए गए.
जमालपुर स्टेशन यार्ड में पूछताछ काउंटर और सहायता केंद्र स्थापित किए गए। एक स्वयं चालित दुर्घटना राहत चिकित्सा वैन (SPARMV) और एक दुर्घटना राहत ट्रेन (ART) तुरंत दुर्घटना स्थल पर भेजी गई. सुरक्षा, संचालन, यांत्रिक, इंजीनियरिंग, विद्युत, सुरक्षा, और वाणिज्यिक विभागों के अधिकारी, नागरिक रक्षा संगठन के सदस्य, राज्य सरकार के अधिकारी, आरपीएफ, जीआरपी, भारत स्काउट्स एंड गाइड्स और मालदा मंडल के कर्मचारियों ने संयुक्त रूप से मॉक ड्रिल में भाग लिया. कुल मिलाकर, लगभग 100 रेलवे कर्मचारी इस व्यापक अभ्यास में शामिल हुए.
इधर त्वरित कार्रवाई करते हुए बचाव दलों ने मिलकर पटरी से उतरे कोचों से यात्रियों को निकालने का काम किया. रेलवे बचाव दल और एनडीआरएफ कर्मियों ने अपने कौशल का प्रदर्शन करते हुए पटरी से उतरे कोचों को काटकर फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित निकाला. रेलवे चिकित्सा दल द्वारा दुर्घटना स्थल पर एक अस्थायी चिकित्सा शिविर स्थापित किया गया, जहां घायलों को प्राथमिक उपचार और चिकित्सा सहायता प्रदान की गई और उन्हें एंबुलेंस से स्थानांतरित किया गया.
इस अवसर पर डीआरएम/मालदा ने कहा कि यह पूर्ण पैमाने की मॉक ड्रिल एनडीआरएफ टीम के सहयोग से आयोजित की गई. इस अभ्यास में दो कोचों के पटरी से उतरने की स्थिति को दर्शाया गया. जिसमें एक कोच दूसरे पर चढ़ा हुआ था. जिससे स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बनाया गया. इस अभ्यास का उद्देश्य रेलवे की तैयारियों का मूल्यांकन करना और प्रशिक्षण में किसी भी कमी को उजागर करना था. उन्होंने इन कमियों को दूर करने, प्रतिक्रिया समय में सुधार करने और रेलवे कर्मचारियों के कौशल को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया.उन्होंने आगे कहा कि आपातकालीन स्थिति में गोल्डन ऑवर यानी पहले घंटे का समय जीवन बचाने में सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस ड्रिल ने त्वरित कार्रवाई और आपात स्थितियों को संभालने में रेलवे कर्मचारियों की सहायता प्रणाली की प्रभावशीलता को प्रदर्शित किया.