नवगछिया – झंडापुर ओपी के हाजत में बिहपुर के गौरीपुर निवासी मनीष कुमार दास उर्फ विभूति कुमार की संदेहास्पद मौत मामले में नवगछिया के एसपी सुशांत कुमार सरोज ने कहा कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए हर बिंदु पर जांच कर रही है। दूसरी तरफ पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का भी इंतजार है। अगर इस मामले में कोई भी दोषी पाए जाएंगे तो निश्चित रूप से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मड़वा निवासी आशुतोष पाठक हत्याकांड की कहानी और झंडापुर ओपी हाजत में मारे गए विभूति उर्फ मनीष की कहानी काफी मिलती जुलती है। आशुतोष को पुलिस से उलझाव होने के बाद पुलिस ने एकाएक पकड़ कर थर्ड डिग्री दी और गंभीर हो जाने के बाद परिजनों को सौप दिया था और इलाज के क्रम में उसकी मौत हो गयी थी। मनीष को पुलिस ने स्कार्पियो लूट कांड में गिरफ्तार किया।
परिजनों के अनुसार स्कार्पियो बरामदगी के लिये चार दिनों तक लिये उसे थर्ड डिग्री दी गयी और संदेहास्पद परिस्थिति में उसकी मौत हो गयी। महज छः माह के अंदर इस तरह की घटना से एक बार फिर पुलिस की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा है। आशुतोष हत्याकांड के बाद पुलिस ने हर संभव जनता के बीच में विश्वसनीयता बनाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था।
दोषी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की गयी। मुख्य आरोपी तत्कालीन थानाध्यक्ष को बरखास्त किया गयाः कई वरीय पदाधिकारियों ने ग्रामीणों से सीधा संवाद स्थापित किया। फिर भी पुलिस पब्लिक के बीच आशुतोष हत्याकांड के बाद उत्पन्न हुए दरार को पुलिस पात नहीं पाई है। अभी भी तत्कालीन थानाध्यक्ष के फरार रहने का मामला बार-बार उठ रहा है।
इलाके के बुद्धिजीवियों का कहना है कि पुलिस को इस मामले में बिना किसी लाग लपेट के अनुसंधान करना चाहिए और सच्चाई को सामने लाकर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए क्योंकि कानून सबके लिए बराबर होता है।
मनीष के शव को प्रथम दृष्टया देखने से प्रतीत होता है कि उसके शरीर पर कई जगहों पर जख्म के निशान हैं। झंडापुर पुलिस के कुछ पुलिसकर्मियों ने अपना नाम न छापने के शर्त पर बताया कि उक्त जख्म शव ज्यादा देर तक एक अवस्था में रहने के कारण हुआ है और सभी तरह के जख्म के निशान मृत्यु के बाद के हैं। अगर इस तरह की बात को सच मान लिया जाय तो निश्चित रूप से इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि मनीष ने आत्महत्या की और पुलिस की इसमें कोई भागीदारी नहीं है।
लेकिन मनीष के परिजन और कुछ जानकार लोगों ने कहा कि मनीष के शरीर पर जख्म के निशान उसकी मृत्यु के पहले के हैं और यह निशान पुलिस की थर्ड डिग्री के दौड़ान उसके शरीर पर आए हैं। क्योंकि कई जगहों पर तो जख्म काफी गहरा है। अगर इस बार को सच मान निष्कर्ष पर पहुंचा जाय तो निश्चित रूप से पुलिस मनीष की मौत के लिये जिम्मेदार है।
इसलिये इस कांड का पूरा दारोमदार पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर टिका हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही यह बात सामने आएगी कि मनीष के शरीर के जख्म मृत्यु के पहले के हैं या मृत्यु के बाद के।