भागलपुर: सूबे के तीसरे बड़े जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था की हालत ठीक नहीं है। चाहे कोरोना का कहर हो या भय अस्पताल में मरीजों को समुचित सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। जिस तरह लोग कोरोना से सहमे हैं, उसी तरह कोरोना के मरीज भी डरे हुए हैं। सभी की जान सांसत में है। इन्हें डर है कि कब क्या हो जाएगा? जान बचेगी या नहीं। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छिपी हुई नहीं है। आइसीयू में भर्ती मरीज पहले से कोरोना से सहमे हैं और ऊपर से उनकी जेब भी कट रही है। सरकारी आपूर्ति नहीं होने के कारण मरीजों को इंजेक्शन भी खुद से मंगवाना पड़ रहा है।
दरअसल, कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में एंटी वायरल में रेमडेसिवीर नामक इंजेक्शन को अभी तक कारगर माना गया है। चिकित्सकों ने बताया कि कोरोना के सांस लेने में दिक्कत होने वाले मरीजों को यह इंजेक्शन दिया जाता है। एक मरीज को पांच से छह डोज दिए जाते हैं। एक इंजेक्शन की बाजार में कीमत 3500 रुपये से लेकर 4000 तक है। पूरा कोर्स में लगभग 25-30 खर्च मरीजों को खुद उठाना पड़ रहा है। इंजेक्शन महंगे होने की वजह से आॢथक रूप से कमजोर मरीज महंगे इंजेक्शन को नहीं खरीद पा रहे हैं। ऐसे में उनकी जिंदगी का खतरा बना हुआ है।
हर दिन चार से पांच मरीजों को मंगवाना पड़ रहा
जिले में कोरोना के केस हर दिन बढ़ रहे हैं। अभी भी जिले में 936 केस एक्टिव हैं। कोविड सेंटर और जेएलएनएमसीएच आइसोलेशन वार्ड में कुल 51 मरीज भर्ती है। इसमें से 17 लोग आइसीयू में है। इनमें से कई की तबियत ज्यादा खराब रह रही है। हर दिन चार से पांच मरीज अपने खर्च देकर स्वजनों से इंजेक्शन बाजार से मंगवा रहे हैं।
एंटी वायरल इंजेक्शन है रेमडेसिवीर
रेमडेसिवीर का यहां के सरकारी अस्पताल में तो आपूर्ति ही नहीं है। यह एक एंटी वायरल ड्रग है, जो सांस लेने की तकलीफ के साथ कोविड अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज को दी जाती है। अभी तक मेडिकल अस्पताल में पांच दर्जन से ज्यादा की मौत हो चुकी है। इसमें सांस संबंधित परेशानी से मरने वाले मरीजों की संख्या चार दर्जन के करीब है।
सरकार की ओर से रेमडेसिवीर इंजेक्शन की आपूर्ति नहीं है। इस कारण मरीजों को खुद इंजेक्शन लाना पड़ता है। जल्द ही यह इंजेक्शन आपूर्ति होने की उम्मीद है। -एके भगत, अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच।