पुस्तकें पढ़ कर ज्ञान वर्धन बनें
नारायणपुर – जवाहर नवोदय विद्यालय नगरपारा में शनिवार को तीन दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह का शुभारंभ प्राचार्य रोशन लाल ने द्वीप प्रज्वलित कर संबोधन में पुस्तक को मानव जाति का सर्वोत्तम मित्र बताया एवं सभी छात्र छात्राओं से पुस्तकों से दोस्ती करने की सलाह दी है ।विद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष अजीत कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय पुस्तक सप्ताह के अंतर्गत स्लोगन लेखन, पुस्तक समीक्षा, निबंध लेखन, स्वरचित कविता एवं कहानी लेखन जैसी रोचक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। श्री कुमार ने बताया ई ग्रंथालय सॉफ्टवेयर द्वारा सभी प्रकार की सुविधाएं ऑनलाइन बच्चों को प्रदान की जा रही है। प्रदर्शनी में ज्ञानवर्धक कहानियां, प्रतियोगी पुस्तकें, मनोरंजक कहानियां, विश्वकोश,शब्दकोश, रोजगार परक पुस्तकें,संगीत से संबंधित पुस्तकों के साथ ही साथ हिंदी,अंग्रेजी,
बांग्ला के विभिन्न पुस्तकों को प्रदर्शित किया गया।बातचीत के दौरान अजीत कुमार ने बताया मौजूदा समय में जरूरी है कि हम पुस्तकों का प्रचार-प्रसार बढ़ायें, उनके अध्ययन में रूचि लें और उनसे अधिकाधिक लाभ उठायें । इन पुस्तकों का लाभ करीब इक्कीस जिला के नवोदय से आए स्काउट एंड गाइड के साथ ही साथ राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भाग ले रहे छात्र छात्राएं एवं उनके स्काउट शिक्षक एवं शिक्षिका ले रहे हैं।वहीं शिक्षक एस के दुबे अमूल कुमार वर्मा, सरिता वर्मा ज्योति चौधरी ,सोनिया रानी, पूर्णेन्दु पाल भारती,पशुपति नाथ पांडे ,एस के झा पुस्तक मेला का अवलोकन कर रहे थे।मौके पर सागर,रचित, अपूर्व कृष्ण,आशीष,कनीय कुमारी.
पलक ,तान्या,सानिया ,शिवांश,समरेश, मिथिलेश का योगदान सराहनीय रहा।पुस्तक प्रदर्शनी में कैरियर पाथफाइंडर एवं कैरियर वृक्ष की ओर पाठक आकर्षित दिखे।पुस्तकालय के अवलोनोउपरांत दूसरे नवोदय से आए आगंतुक शिक्षकों ने कहा बच्चों को पुस्तकों से प्रेम होना चाहिए क्योंकि हमारी सभ्यता, संस्कृति एवं मानवीय मूल्य पुस्तकों के रूप में जीवित रहते हैं । पुस्तक कभी आपको धोखा नहीं देता और सदैव आपके ज्ञान को बढ़ाता ही है। पुस्तक हमें जिंदादिली के साथ जीना सिखाती है। कहा जाता है जिन्हें पुस्तक पुस्तक पढ़ने की आदत लग जाती है वह जीवन में आनंदित एवं प्रसन्नचित् देखे जाते हैं ।पुस्तकालय अध्यक्ष अजीत कुमार बच्चों से बोल रहे थे “किताबें कुछ कहना चाहती है तुम्हारे पास रहना चाहती है”।पुस्तकप्रेमी पुस्तक मेला का आनंद घुम घुमकर उठा रहे थे।