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बच्चों को बचाकर उन्हें दूसरा जीवन दिया

प्रदीप विद्रोही
भागलपुर। आज के दौर में जब सोशल मीडिया बेहतर जीवन और आसान अवसरों के वादों को बढ़ावा देता है वहीं इसमें उलझे इन बच्चों की कहानियां एक डरावनी सच्चाई को भी उजागर करती हैं। ये बच्चे किसी न किसी गहरे दर्द से भाग रहे थे – कोई दुर्व्यवहार से, कोई झूठे वादों और नौकरी के प्रलोभनों से तो कोई अनजाने में। बिना किसी समझ के, स्टेशन के भूलभुलैया में भटक रहा था, खतरों से अनभिज्ञ।
पूर्वी रेलवे की रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने असाधारण सतर्कता और सहानुभूति का प्रदर्शन करते हुए 1 से 15 नवंबर 2024 के बीच 46 बच्चों को सफलतापूर्वक बचाया। ये बच्चे, जिनकी उम्र 5 से 16 वर्ष के बीच है। विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर भटकते हुए पाए गए। ये बच्चे शोषण, दुर्व्यवहार और तस्करी के प्रति अत्यंत असुरक्षित थे।
RPF के प्रयास न केवल उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं बल्कि यह भी बताते हैं कि समाज के सबसे मासूम वर्गों की सुरक्षा के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। कुल 46 बच्चों में से 34 लड़के और 12 लड़कियां थीं। इनमें सबसे छोटा बच्चा मात्र 5 वर्ष का था। ये बच्चे विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए थे। हर किसी की अपनी दर्दभरी कहानी थी, लेकिन सभी ने सुरक्षा और उम्मीद की तलाश में कदम उठाए।
बचाव के आंकड़े :
26 बच्चे : घरों से भागे, जहां उपेक्षा, दुर्व्यवहार या हिंसा का माहौल था।


13 बच्चे : बाल तस्करी के शिकार, जिन्हें झूठे वादों के तहत फंसाया गया और रेलवे स्टेशनों पर छोड़ दिया गया।
1 बच्चा : नशे की लत से जूझता मिला, जो गंभीर तनाव में था और तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी।
4 बच्चे : यात्रा के दौरान परिवार से बिछड़ गए, भीड़भाड़ वाले स्टेशनों में खो गए।
2 बच्चे : सड़क पर रहने वाले, जिन्हें उनके परिवार या संरक्षकों ने त्याग दिया था।
बचाव के बाद, बच्चों को तत्काल चिकित्सा सहायता और परामर्श प्रदान किया गया। RPF ने स्थानीय एनजीओ और पुलिस थानों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि इन बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर रखा जाए और उन्हें आवश्यक सहायता दी जाए। सभी 46 बच्चों को चाइल्ड प्रोटेक्शन में विशेषज्ञता रखने वाले एनजीओ को सौंपा गया, जो उन्हें आश्रय, शिक्षा और भावनात्मक समर्थन प्रदान कर रहे हैं।
सामूहिक जिम्मेदारी की आवश्यकता :
रेलवे सुरक्षा बल का कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है। ये 46 बच्चे सिर्फ एक झलक हैं उस बड़ी समस्या की, जिसे तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है – उन बच्चों की सुरक्षा और कल्याण, जो विभिन्न कारणों से भटक जाते हैं, खो जाते हैं या शोषण का शिकार होते हैं।
पूर्वी रेलवे कानून प्रवर्तन, एनजीओ और स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि इन बच्चों और उनके जैसे अन्य बच्चों को सड़क पर आने वाले खतरों से बचाया जा सके। लेकिन यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। अभिभावकों, संरक्षकों और नागरिकों से अपील है कि वे सतर्क रहें और रेलवे स्टेशनों के आसपास बच्चों से संबंधित किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें।

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