देर रात बाजारों में चहल पहल, मतदान में बढ़ोतरी होने की संभावना
ऋषव मिश्रा “कृष्णा”, मुख्य संपादक , जीएस न्यूज़
लोकतंत्र के महापर्व की पूर्व संध्या पर नवगछिया शहर सहित अनुमंडल के विभिन्न बाजारों में चहल-पहल का माहौल देखा गया. प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को छोड़ दें तो मतदाताओं के चेहरे पर ना तो किसी प्रकार का तनाव दिखा और ना ही किसी प्रकार की बेचैनी. यहां तक कि प्रत्याशियों के जीत हार के चर्चे भी इक्के दुक्के जगह पर ही हो रहे थे. कुछ जानकार लोगों ने कहा कि अच्छा माहौल देखकर उम्मीद किया जा सकता है कि मंगलवार को होने वाले चुनाव में मतदान के प्रतिशत में बढ़ोतरी होगी. मतदाताओं की रहस्यमय खामोशी प्रत्याशियों के बैठकखानों में कभी समीकरण बना दे रहे हैं तो कभी बिगाड़ भी दे रहे हैं. दोनों विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है. देर रात सभी प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के साथ मोबाइल फोन पर सेटिंग गेटिंग करने में लगे रहे.
ई हाल रहतै त राते भरी में टोटल वोट चरी जेतै
रात्रि दस बजे गोपालपुर विधानसभा का एक प्रत्याशी का समर्थक फोन पर बात कर रहा है. की भेलै रै……. के घुसी गेलै पुबारी टोला ? की कहलैंह, जेब उच्चो रहै. टाका होतै आरू की, तोंय सब करै की छैं रै. ई हाल रहतै त राते भरी में टोटल वोट चरी जैतै. बड़ी मिहनत लागलो छै वोट बनबै में, रात भर जागी के जोगी ले.
हमरा तरघुसकी आरू गुम्मा वोट छै, यै लेली चिंता मत कर दस के पता चलतौ
रात्रि नौ बजे एक प्रत्याशी के बैठकखाने से एक के बाद एक लोग खिसकते जा रहे थे. जब चार पांच लोग ही बच गए तो प्रत्याशी ने झल्लाते हुए कहा आपने सब भी घर जैइये, चिंता नय करै के छै, हमरा तरघुसकी वोट छै आरू हमरो सब वोटर गुम्मा छै. 10 तारीक के पता चलतै.
सुनलियै टका बंटै छै, कुच्छु भांज लागी जाय, त की दिक्कत
गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र के एक गांव पर एक व्यक्ति रात्रि साढ़े दस बजे टहल रहा था. दूसरा आ कर पूछता है. की बात छै, एत्ते रात के टहल करै छो, कोय बात की. दूसरा कहता है आधा घंटा पेहने हल्ला भेलै की रोडो पर टाका बटी रहलो छै. सोचलियै हमरो कुच्छु भांज लागी जाय. केकरह नय केहरैह वोट त देबै करबै न ! दूसरा भी चहलकदमी करने में साथ साथ हो गया.
चुनाव त हमरा सनी समय में होय रहै, उन्ने मुर्गा सीझी रहलो छै, इन्ने ठप्पा परी रहलो छै
बिहपुर विधानसभा के सुदूर गांव के एक बैठकी पर कुछ लड़के और कुछ अधेड़ उम्र व्यक्ति आपस में चुनाव की चर्चा कर रहे थे. अधेड़ व्यक्ति कहता है, चुनाव त आय सें बीस – तीस बरस पहनें होय रहै. उन्ने मुर्गा सीझी रहलो छै, इन्ने ठप्पा परी रहलो छै. ककरोह वोट नय देना छै. पहनेह गांव में सब क कही दै रहियै, ककरोह वोट दै ल जाय के दिक्कत नय करै के छै. सब के वोट पड़ी जैतै. मजा त तखनी आबै रहै, दारू ढल, गांजा पीना छै, चिलम के जरूरी नय सिगरेट में गांजा भरलो रेडी, पुलिस सलाम ठोकै रहै. बीच में एक लड़का बोलता है. एखनी की दिक्कत छै. अधेड़ बोलता है, एखनी त चितकबरा (पारा मिलेट्री फोर्स) के देखी के पैहनैह हाड़ कांपी जाय छै.