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नारायणपुर : प्रखंड के विभिन्न क्षेत्र में मिट्टी का कारोबार बड़ा ही निराला है। इसमें सरकारी योजना का भी गड़बड़झाला है। मनरेगा जैसी सरकारी योजना में भी मिट्टी भराई का काम ट्रैक्टर से होता है।सीधे शब्दों में कह सकते हैं कि सरकार के द्वारा मनरेगा में सीधा निर्देश है कि मनरेगा योजना में मिट्टी भराई का काम मजदुर द्वारा करना है। लेकिन नारायणपुर में मजदुर के बदले जेसीबी और ट्रैक्टर से कार्य होता हैं। सोमवार को अवैध मिट्टी कारोबार का खुलासा उस समय हुआ जब नदी थाना ने कुशहा गॉव के पास से मिट्टी लदे तीन ट्रैक्टर को जब्त किया। प्रति ट्रैक्टर मिट्टी एक हजार रूपए तक लिया जाता है।

मिट्टी कारोबारी सरकारी दर किसी को नहीं बताता है।निजी दर पर मिट्टी का खेल हो रहा है जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं है।जिस व्यक्ति ने माइनिंग विभाग से अपना कागजात मिट्टी धुलाई के लिए बनवा लिया है वह भी खुलकर मनमानी कर रहा है।लोगों को सरकारी दर नहीं बता रहा है कि इस दर में मिट्टी आपको पहुंचा दूंगा। मनमाना रूपये लेता है जबकि उतना नहीं होना चाहिए। जानकर बताते हैं कि मिट्टी ढुलाई करने वाला व्यवसायी विभाग को इस बात की भी जानकारी देगा कि वह किस मौजा के खाता,खेसरा से मिट्टी काट कर भेज रहा है या बेच रहा है। लेकिन यहां विभाग को जिस मौजा,खाता,

खेसरा का नंबर दिया जाता है उससे एक बार मिट्टी काटी जाती है इसके बाद तो जहां मन तहां उसी कागजात पर किसी भी किसान से सस्ता में मिट्टी खरीद कर उसे ऊंचे दामों में बेचने का काम हो रहा है। अब यदि नदी थाना ने कार्यवाही कर दिया तो रात के अंधेरे में मिट्टी का कारोबार चरम पर हो जाता है। जेसीबी के माध्यम से ट्रैक्टर पर मिट्टी भरकर रातों-रात सभी जगह पहुंचा दिया जाता है। बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों का कहना है की आखिर इस पर लगाम कब लगेगा। सरकारी योजना में भी मिट्टी का खेल बड़ा निराला है जो साफ तौर पर गड़गड़ झाला हो रहा है आखिर कब तक चलता रहेगा एक तरफ किसान ट्रैक्टर से मिट्टी की बिक्री कर लेते है तो दुसरी और मनरेगा से पोखर खुदाई की राशि का भुगतान लेने में पीछे नही है।

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