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एनसआरटी की किताब पिछले आठ वर्ष वर्ग पांच के नौनिहालों को गलत पढ़ा रही हैं कि नवगछिया प्रखंड में धरहरा गांव हैं। जबकि धरहरा गांव गोपालपुर प्रखंड के मकंदपुर पंचायत में आता हैं। यह एनएसआरटी की किताब वर्ग पांच के लिए पर्यावरण और हम हैं। पेज संख्या 102 पर धरहरा की परंपरा शिर्षक अन्तर्गत किताब में छपा हैं। सुनो कहानी धरहरा की परंपरा की। जिसने देश और दुनिया की निगाह को अपनी ओर खींचा हैं। भागलपुर जिले के नगवछिया प्रखंड में बसे इस छोटे से गांव ने प्रर्यावरण की प्रति संवेदनशीलता एवं बालिकाओं की सामाजिक महत्ता स्थापित करने में अद्भुत मिशाल कायम की हैं।

किताब में स्पस्ट रूप से छपा हैं कि यह गांव नवगछिया प्रखंड में पड़ता हैं। जबकि यह गांव गोपालपुर प्रखंड में पड़ता हैं। इस किताब वर्ष 2013-14 में प्रकाशित हुआ हैं। यह किताब बच्चों को सरकार की ओर से फ्री में पढ़ने के लिए उपलब्ध करवाया जाता हैं। इसकी बिक्री बाजार में नहीं होती हैं। ज्ञातव्य हो कि धरहरा गांव में पुत्री के जन्म पर 10 फलदार वृक्ष लगाने की अनूठी परंपरा हैं। यह बाते सूबे के मुख्यमंत्री के नीतीश कुमार के कानों तक पहुंची तो वे स्वयं वर्ष 2010 में धरहरा गांव विश्व पर्यावरण दिवस पर पहुंच कर बेटी के जन्म पर 10 फलदार आम के पौधे लगाए थे। ये वृक्ष लवली कुमारी के जन्मदिन पर लगाए गए थे।

इसके बाद लगातार तीन बार सीएम धरहरा गांव पहुंच कर वृक्षरोपण किया। सीएम के आगमन से धरहरा गांव की पहचान देश ही नहीं विदेशी में भी पहचान बढ़ी। इस परंपरा को लेकर पूरी दुनिया में कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई गई हैं। वर्ष 2012 में गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर राष्ट्रीय परेड में भी इस परंपरा को शामिल किया गया था। किंतु उसी धरहरा गांव को एनसीआरटी किताब में नौनिहालों को गलत पढ़ाया जा रहा हैं। इस संबंध में गोपालपुर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी विजय झा ने बताया कि इस बात को संज्ञान में लेकर वरीय पदाधिकारी को अवगत करवाया जायेगा।

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