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चार दशकों तक छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा देने वाले गुरु चतुरानंद झा का सोमवार की देर रात निधन हो गया. सिमरा ग्राम निवासी 80 वर्षीय चतुरानंद पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. बीमार होने से पहले जब तक वे स्वस्थ रहे, अपने पास पहुंचने वाले छात्रों को नि:शुल्क पढाते रहे. स्वेच्छा से अगर कोई कुछ दे तब भी ठीक अन्यथा वे सहर्ष विद्यार्थियों को फ्री में पढाने को तैयार रहते थे. खासकर अंग्रेजी और संस्कृत विषयों पर उनकी पकड़ अद्भुत थी. 1960 में बतौर संस्कृत शिक्षक उन्होंने राघवेंद्र संस्कृत उच्च विद्यालय नवगछिया में सेवा देनी शुरू की थी.

2002 में रिटायर हुए. इस अवधि के बाद भी उन्होंने लंबे समय तक सैकड़ों छात्रों को नि:शुल्क पढाया. उनके पढाए कई छात्र आज देश दुनिया में अपना नाम कमाने के साथ साथ अपने गुरु का भी नाम रोशन कर रहे हैं. उनके निधन पर केवल सिमरा ही नहीं, समस्त नवगछिया समेत आसपास के इलाकों में शोक देखा जा रहा है. अपने पीछे वे अपने 3 पुत्र, 2पुत्रियों सहित कई पोता पोती से भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं.

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