नवगछिया | दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान संस्थापक व संचालक परम पूज्य सदगुरु सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के महती अनुकंपा से रंगरा , भागलपुर की पावन धरती पर आयोजित पांच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस के मौके पर दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंद जी ने कहा कि अगर मानव जीवन को प्रभुमय बनाना चाहते है, जीवन की सार्थकता वो सफलता को सिद्ध करना चाहते है, नर से नारायण की ओर प्रस्थान करना चाहते है एवं अपने वर्तमान और भविष्य को सुंदर बनाना चाहते तो प्रत्येक नर नारियों का यह परम कर्तव्य है कि वो अपने जीवन को चार चरणों से गुजारें- अरे आत्मा वा स्रोतव्यो,मन्तव्यो, दृष्टव्यो,निधिध्यास्तव्यो ।
अर्थात आत्मा परमात्मा की बातो को ध्यान पूर्वक सुनो, सुनी हुई बातो पर मनन करो, फिर समय के पूर्ण सदगुरु के शरण में जाकर ईश्वर का दर्शन करो और फिर घर ग्रस्थि में रहकर भी पारिवारिक, सामाजिक, सांसारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने जीवन को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करो, इसी में सबका कल्याण है । वो स्वामी संसदानंद जी ने भी शास्त्र सम्मत विचार दिए । साध्वी शीतली भारती,साध्वी पुष्पा भारती एवं चंदन कुमार ने सुमधुर संगीत से हजारों की संख्या में आए श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध किया ।