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भागलपुर : बाढ़ का विनाशलीला अब भागलपुर के कई शहरी इलाकों में भी दिखने लगा है, भागलपुर के नाथनगर चंपानगर के निचले इलाके में पानी प्रवेश कर गया है जिससे आम जनजीवन अस्त व्यस्त हो गए हैं
गंगा का पानी बुनकरों पर कहर बनकर बरपा है, गंगा का जलस्तर पावरलूम कारीगरों की मुसीबतें बढ़ा रहा है, दिवाली और छठ पूजा को लेकर मिले कपड़ों के ऑर्डर भी कैंसिल हो चुके हैं, बुनकरों की स्थिति पूर्णरूपेण चरमरा गई है ,बाढ़ के कहर से पूरा बिहार बेबस व लाचार हो चुका है, जहां दुर्गा पूजा में लाल और पीले रेशमी साड़ियों की पूरी डिमांड थी और सबकुछ सामान्य चल रहा था लेकिन अचानक गंगा के जलस्तर में फिर से बढ़ोतरी होने से गंगा से सटे तटवर्ती इलाकों के लोग फिर से सड़क पर आ गए हैं, ना तो जलावन के लिए कुछ रहा और ना खाने को, पहले कोरोना के.

चलते लॉकडाउन ने बुनकरों की कमर तोड़ी अब बाढ़ कहर बरपा रहा है, तकरीबन 300 से अधिक बुनकरों के पावरलूम व हैंडलूम कारखानों में बाढ़ का पानी तीन फीट से ऊपर घुस आया है ,हजारों हजार रुपए के धागे बर्बाद हो गए ,बुनकरों की स्थिति बद से बदतर हो गई है, सभी पावरलूम हैंडलूम कारखानों में कमर से ऊपर पानी बह रहा है, घर से बाहर निकलना तो दूर घर में भी शांति से रहना दुश्वार हो गया है । बुनकरों ने महाजनों से आधे मजबूरी पर काम लिया था वह भी बर्बाद हो चुका ,पावरलूम व कारखानों में पानी आ जाने से कपड़ा उत्पादन पर सीधा असर पड़ा है, रोज के देहाड़ी पर काम करने वाले 5000 पावरलूम व हैंडलूम कारीगरों की कमाई छीन गई। बुनकरों द्वारा तैयार किए कपड़े भी खराब हो चुके हैं, ऐसे में बुनकरों को करीब 50 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है वही प्रशासन व सरकार इस पर कोई सुध नहीं ले रही, उनका रवैया पूर्णरूपेण उदासीन है।

50 करोड़ का नुकसान, सरकार की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं

बाढ़ का पानी घुस आने से बुनकरों की स्थिति बदहाल हो गई है परंतु राजनीतिक दलों के नेताओं के किए गए वादे और प्रसाशनिक वादों का पोल खोलती तस्वीर साफ तौर पर वया कर रही है की बुनकरों के हालात पर सरकार और प्रसाशन का क्या है रवय्या?, बता दें की एक पावरलूम मशीन की कीमत करीव 25 हजार रुपए की होती है अब मशीन में पानी चले जाने से उसके मरम्मत मे 25 से 30 दिनों का समय भी लगेगा और पैसे भी दस से बारह हजार रुपए लगेंगे, यहां के बुनकर भाई बेवस और लाचार है वहीं सरकार भी आँख बंद कर सोई हुई है।

बुनकरों का रो रो कर बुरा हाल

यहां के बुनकरों का कहना है बड़े पैमाने पर कपड़ों का व्यापार करने वालों पर सरकार व राजनेता ध्यान देते हैं परंतु रोज कमाने खाने वाले बुनकरों पर प्रशासन व सरकार का कोई ध्यान नहीं है ,हमलोग 10 दिनों से भूखे प्यासे परिवार के साथ अपने घरों में बाढ़ से घिरे हुए हैं लेकिन अभी तक प्रशासन या राजनेता हमलोगों की स्थिति देखना भी मुनासिब नहीं समझे, हम सभी बाढ़ के पानी से पूर्णरूपेण खेल चुके हैं अपने घरों में भी डरे और सहमे हुए हैं बाढ़ के पानी के साथ कभी सांप तो कभी कोई जानवर आ जाता है । वहीं बुनकर भाइयों का कहना है सरकार के द्वारा हमें कहीं उचित जगह पर ले जाकर खाने पीने की व्यवस्था की जाए साथ ही व्यवसाय में जो क्षति हुई है उस पर भी संज्ञान लिया जाए। जायजा लिया हमारे संवाददाता निभाष मोदी ने।

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