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नवगछिया शहर समेत अनुमंडल भर में कर्मा-धर्मा पर्व प्रमुखता से मनाया गया। भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को हर साल यह पर्व मनाया जाता है। भाई-बहन के स्नेह और प्रेम की निशानी के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व धूमधाम से मनाया गया। पर्व को लेकर बहनों में सुबह से ही काफी चहल-पहल देखी गई।

खासकर नवगछिया शहर के बाजार सहित आसपास के दर्जनों गांव में यह पर्व मनाया गया। अपने घर के आस-पास गड्ढा कर उसे विभिन्न तरह के फूलों व पत्तों से सजाया गया और करमा-धरमा गीत गाकर पूजा की गई। करमा पेड़ की डाली को भाई काटकर अपनी बहन को देता है। डाली को फूलों से सजाया जाता है। घी के दीपक जलाकर करमा डाल के चारों ओर घूम-घूमकर बहन-बेटियां भाई और पिता की दीर्घायु के गीत गाती हैं।

रिवाज के अनुसार बहनों को भाई खीरा या फिर मकई की बाली से पीठ में ठोकता है और बहन से भाई कहता है किस का करम तो बहन का जवाब होता है अपना करम भाई का धर्म। अंत में आरती के बाद बहनों को भाइयों द्वारा पानी भरे गड्ढे को पार करवाया जाता है। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों के लिए यम देवता से दीर्घायु की कामना करती हैं।

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