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नवगछिया: नवगछिया अनुमंडल के खरीक प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय ढोढ़िया में उस समय हड़कंप मच गया जब कृमि की दवाई खाने के बाद कई दर्जन से अधिक बच्चे अचानक बीमार पड़ गए। बच्चों की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें तुरंत नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों की एक टीम ने उनका इलाज शुरू किया।

बीमार होने वाले बच्चों में प्रिंस कुमार (12 वर्ष, पिता प्रबीन यादव), अमरेश कुमार (8 वर्ष, पिता अरुण मिस्त्री), शुभम कुमार (5 वर्ष, पिता अरुण मिस्त्री), प्रीतम कुमार (8 वर्ष, पिता दीपक मिस्त्री), वर्षा कुमारी (12 वर्ष, पिता अरुण यादव), काजल कुमारी (13 वर्ष, पिता अरुण मिस्त्री), सरिता कुमारी (पिता रोशन साह), हिमांशु कुमार (8 वर्ष, पिता कुन्दन मंडल), ज्योति कुमारी (10 वर्ष, पिता पृथबी मंडल), अंजलि कुमारी (5 वर्ष, पिता पिंटू), रूपा कुमारी (पिता पिसिद्धि यादव), सौरव कुमार (पिता संजीव यादव), और नेहा कुमारी (पिता फुदो) सहित अन्य बच्चे शामिल हैं। ये सभी बच्चे ढोढ़िया, खरीक के निवासी हैं। इस संबंध में बताया कि मध्य विद्यालय ढोढ़िया में कृमि की रोकथाम के लिए बच्चों को दवाई दी जा रही थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस दवाई का वितरण एक नियमित अभियान का हिस्सा था, जो राज्य भर के स्कूलों में चलाया जा रहा है। लेकिन दवाई खाने के कुछ समय बाद ही कई बच्चों ने पेट दर्द, उल्टी, सिरदर्द, और चक्कर आने की शिकायत की।

स्थिति बिगड़ती देख स्कूल प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की और सभी बच्चों को नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों की टीम ने बच्चों का इलाज शुरू किया। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों की स्थिति फिलहाल स्थिर है, लेकिन कुछ बच्चों को अभी भी विशेष देखभाल की आवश्यकता है।

घटना की खबर मिलते ही बच्चों के परिजन अस्पताल पहुंच गए और अपने बच्चों की हालत देखकर चिंतित और आक्रोशित हो गए। अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए घटना की जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए अपनी एक टीम को घटनास्थल पर भेजा है ताकि यह पता लगाया जा सके कि दवाई में किसी प्रकार की मिलावट या अन्य कारण तो नहीं था जिससे बच्चों की तबीयत बिगड़ी।
इस घटना ने कृमि की दवाई की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ अभिभावकों का कहना है कि दवाई की गुणवत्ता की सही से जांच नहीं की गई थी। इसके अलावा, बच्चों को दी गई दवा की मात्रा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

इस घटना ने एक बार फिर स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों में दी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता और स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता पर जोर दिया है। समुदाय में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।

घटना से प्रभावित परिवार और बच्चे अब ठीक होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस घटना ने पूरे इलाके में चिंता और जागरूकता की लहर पैदा कर दी है। प्रशासन ने वादा किया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानियां बरती जाएंगी।

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