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नवगछिया अनुमंडल में स्थित कई आवासीय विद्यालयों में बच्चों के रहने और खाने की व्यवस्था भगवान भरोसे है। अभिभावकों को झांसे में लेकर बच्चों को छात्रावास में भेजा जाता है, लेकिन वहां की स्थिति अत्यंत खराब है। इन विद्यालयों में बच्चों को ना तो हवादार कमरे मिलते हैं, और कई जगहों पर तो कच्चे मकान या चादर से बने हुए छत वाले कमरे में रखा जाता है। इसके अलावा, बच्चों को मिलने वाली शिक्षा तो कहीं ठीक रहती है, लेकिन खाने-पीने और स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बेहद खराब है।

अभिभावकों का आरोप है कि जब बच्चों की तबियत खराब होती है, तो स्कूल प्रशासन पल्ला झाड़कर उनसे यह कहता है कि वे अपने बच्चों को लेकर जाएं। कई मामलों में यह भी देखा गया कि विद्यालय प्रशासन ने बच्चों के इलाज के लिए कोई कदम नहीं उठाया, और बाद में जब बच्चों की स्थिति गंभीर हो गई, तो अस्पताल में इलाज करना पड़ा। एक अभिभावक ने कहा, “हमारे बच्चों को नुकसान पहुंचाने के बाद स्कूल सिर्फ फोन करके सूचित करता है, लेकिन किसी भी प्रकार की मदद नहीं देता।”

इस स्थिति से बचने के लिए अभिभावकों से अपील है कि वे अपने बच्चों का नामांकन कराने से पहले छात्रावास की पूरी जांच-पड़ताल करें। अभिभावक किसी अन्य विद्यार्थी से वहां की स्थिति के बारे में जानकारी लें, और खुद जाकर छात्रावास, कक्षाओं, किचन और बाथरूम का निरीक्षण करें। बच्चों को हॉस्टल में भेजने से पहले इन सारी चीज़ों का ध्यान रखें। इसके बाद ही नामांकन करें ताकि बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से संबंधित कोई खतरा न हो।

अभिभावकों से अपील: यदि आपके बच्चे के साथ किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो कृपया इसे नजरअंदाज न करें और शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारियों से तत्काल संपर्क करें ताकि उचित कार्रवाई हो सके। आपकी चुप्पी से इन विद्यालयों का मनोबल बढ़ता है, और बच्चों को अच्छे वातावरण से वंचित किया जाता है। बच्चों की जान से खिलवाड़ होने का खतरा हमेशा बना रहता है, और केवल जागरूक अभिभावक ही इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।

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