ऋषव मिश्रा कृष्णा ‘ मुख्य संपादक’
नवगछिया में लॉक डाउन और सोसल डिस्टेंसिंग के बीच बिहुला विषहरी पूजा शुरू
नवगछिया – हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 17 अगस्त को सती बिहुला अपने मायके पहुंच गई है. कोरोना काल, लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के बीच भी बिहुला के स्वागत में नवगछिया के लोग कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है. इस बार बिहुला के नवगछिया पहुंचने पर कोई धूमधड़ाका तो नहीं हुआ लेकिन लोगों के श्रद्धा और आस्था में कोई कमी नहीं आई है. नवगछिया के दो मंदिरों में और डॉ राणा वाली गली में माता विषहरी की पांच बहनों के साथ बिहुला को ससम्मान के साथ सिंहासन पर बैठाया गया और वैदिक विधि विधान से पूजा की गई.
विधिवत पूजा संपन्न होते ही नवगछिया वासियों ने हरिया पति स्थित मंदिर और डॉ राणा वाली गली में हो रहे पूजन समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ एक एक कर दर्शन किया और पूजा पाठ भी किया. हर वर्ष भक्ति जागरण का प्रोग्राम हर्षोल्लास के साथ किया जाता था लेकिन इस बार भक्ति जागरण का प्रोग्राम ऑनलाइन किया गया.
पूजा स्थलों पर गंगाजल का मिलावट कर सैनिटाइजर तैयार किया गया है जिसे हर एक भक्तों के हाथों में डाल कर पूजा करने की अनुमति दी जा रही है. मालूम हो कि बिहुला विषहरी लोक साहित्य में बिहुला का मायके नवगछिया के उझानी गांव में बताया गया है. इसी कारण वर्षों से लोगों को ही मान्यता है कि 17 अगस्त को सती बिहुला का नवगछिया आगमन होता है और यहां पर उन्हें उसी तरह सम्मान मिलता है जैसे जब कोई बेटी अपने ससुराल से मायके आती है. क्लीन नवगछिया ग्रीन नवगछिया के अध्यक्ष चंद्रगुप्त शाह ने कहा कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में नवगछिया में बेला विषहरी पूजा में एक अलग तरह का स्नेह और वात्सल्य देखने को मिलता है. समाजसेवी पंकज कुमार भारती ने कहा कि नवगछिया में बिहुला को लोगों ने दिल में तो जगह दी है लेकिन सरकारी और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण बिहुला आज भी उपेक्षित है.
विश्व हिंदू परिषद के प्रवीण कुमार भगत ने कहा कि बिहुला के जन्मस्थान का जीर्णोद्धार कर उसे पर्यटन स्थल बनाए जाने की आवश्यकता है. इधर ठाकुरबाड़ी रोड में बिहुला विषहरी में मुख्य यजमान के रूप में मुकेश राणा और पार्षद चम्पा कुमारी थे. पंडित शैलेश झा पुजा करा रहे थे. मौके पर बिमल किशोर पोद्दार, आयोजन कमेटी के सक्रिय अजय कुशवाहा आदि अन्य की भी भागीदारी देखी गई.