ऋषव मिश्रा “कृष्णा” नवगछिया – मदहतपुर में विषाक्त मिड डे मील खाने से बीमार हुए बच्चे के अभिभावकों में काफी आक्रोश है. खास कर महिलाएं स्कूल पहुंच कर शिक्षकों और खास कर प्रधानाध्यापकों से सीधा सवाल जवाब करने के मूड में दिख रही थी. पागो देवी ने गुस्से में कह रही थी कि “नय सम्हरै छै त छोड़ी देना चाहियो, अलाय – बोकचो खाय ल बच्चा का स्कूल नय नी भेजबै” जबकि स्कूल में पढ़ने वाले अन्य बच्चों की मां ललिता देवी, कंचन देवी, धूरो देवी ने कहा कि शिक्षकों से मिड डे मील नहीं संभलता है, इसका पैसा ही उनलोगों के खाते में भेज देना चाहिये.
हमलोग अच्छा अच्छा खाना अपने बच्चों को खिलाएंगे. धुरो देवी ने कहा कि भेजते हैं पढ़ने और मास्टर बच्चा को गिरगिट्टी खिला देगा, तो ऐसा स्कूल भेजने में भी अब हमलोगों को डर लग रहा है. अधिकांश महिलाओं ने कहा कि स्कूल में खाना पीना तो बंद कर देना चाहिये, शिक्षकों का ध्यान खाना पीना पर ही लगा रहता है. छात्र छत्राओं ने कहा कि सत्यम कुमार, अंचल कुमारी, रिमझिम कुमारी, आदित्यराज ने अलग अलग शब्दों में कहा कि विद्यालय में मिलने वाला खाना स्वादिष्ट नहीं होता है. खाने का मन नहीं करता है लेकिन सर लोग कहते हैं तो खा लेते हैं.
वर्ग एक की छात्रा सुहानी ने कहा कि अब हम नहीं खाएंगे स्कूल में, खाना में गिरगिट मिला देता है. सन्नी कुमार ने कहा कि शाम पांच बजे उसका मन घूमने लगा, ऐसा उसे कभी नहीं हुआ था. जब अस्पताल में ओआरएस पिलाया तो जा कर मन ठीक हुआ. आठ के छात्र प्रिंस राज ने कहा कि स्कूल में ठीक ठाक पढ़ाई नहीम होती है, ट्यूशन नहीं जाता तो वह कुछ भी नहीं सीख पाता. ग्रामीण प्रबुद्धजनों विजेंद्र शर्मा, आजाद हिंद मोर्चा के अध्यक्ष राजेंद्र यादव, अधिवक्ता रजनीश सिंह समेत अन्य ने कहा कि विद्यालय में शिक्षा समिति को प्रभावी बनाना चाहिए और खास कर मिड डे मील के सुचारू संचालन के लिये एक ग्रामीण कमेटी का भी निर्माण करना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटना सामने नहीं आये.