-अंगीका साहित्य के लोकप्रिय एवं चर्चित लोक कवि भगवान प्रलय के असामयिक निधन पर अंग सांस्कृतिक लोक मंच के कलाकारों ने व्यक्त की शोक संवेदना।
अंगीका जगत एवं अंग साहित्य के लोकप्रिय एवं चर्चित लोक कवि,गीतकार,नाटककार भगवान प्रलय के असामयिक निधन पर अंग सांस्कृतिक लोक मंच डुमरीया के लोक कलाकारों ने गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है।बताते चलें कि लोक कवि भगवान प्रलय का.
उनके पैतृक आवास कटिहार जिले के कुर्सेला प्रखंड अंतर्गत महेशपुर में लम्बी बीमारी के बाद 78 वर्ष की उम्र में रविवार की सुबह निधन हो गया। उनके असामयिक निधन पर अंग सांस्कृतिक लोक मंच डुमरीया के संयोजक एवं निर्देशक चन्द्रशेखर सुमन,अध्यक्ष चन्द्रहास मंडल,सचिव रवि प्रिय,कोषाध्यक्ष अजय कुमार मंडल,
कार्यकारी निदेशक विनोद मेहरा,समाजसेवी अनिता कुमारी के अलावे दर्जनो कलाकारों ने गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनके निधन पर लोक मच के अध्यक्ष चन्द्रहास मंडल ने कहा कि स्व भगवान प्रलय का अंग सांस्कृतिक लोक मंच से कई दशकों एवं लम्बे अरसे से गहरा जुड़ाव रहा है। उन्होंने दर्जनों बार मंच के माध्यम से अपनी लोकप्रिय एवं चर्चित लोक गाथाओं,रचनाओं की प्रस्तुति दी है।
-महुआ घटवारिन(लोकगाथा,नाटक,उपन्यास) ,कौशकी, कंगना रसै रसै झुनुर झुनुर बोले (लोक अंगीका गीत) की रचना कर पाई थी प्रसिद्धि।
भगवान प्रलय ने अपने चार दशक के साहित्य सफर में काफी गरीबी से उठकर अंगीका साहित्य को एक अप्रतिम नया आयाम दिया था ।उन्होंने अपने जीवन काल में अंगीका एवं हिन्दी में लोक विधा से जुड़ी कई रचनाएँ की थी ।खासकर 2000 के दशक में महुआ घटवारिन लोकगाथा एवं कंगना रसै रसै झुनुर झुनुर बोले जैसे रचनाओं के माध्यम से अंगीका एवं हिन्दी साहित्य जगत में प्रसिद्धि पाई थी। उन दिनों इनकी दोनों रचनाएँ अंगीका अंचल में लोगों की जुबान पर हुआ करती थी। उन्हें कवि रत्न,लोक भूषण,अंग प्रसून,अंग भगीरथ,गीत कुल गौरव ,गीत कुल शिरोमणि आदि साहित्यिक उपाधि से नवाजा गया है।