मंगलवार को सोशल मीडिया में नवगछिया पीएचसी में सरकारी योजना को फैमली कार्यक्रम बना देने का आरोप लगाते हुए एक खबर वायरल थी. खबर में जिक्र था कि आरबीएसके में चलने वाले वाहन में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने अपने पिता के वाहन का प्रयोग करते हुए लाखों रुपये का फायदा पहुंचाया गया. दूसरी तरफ आरोप लगाया गया कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने उत्प्रेरक के नाम पर अपनी पत्नी को भी लाखों रुपये का फायदा पहुंचाया गया.
कोई लाखों का घोटाला नहीं, किया गया है निजता का उलंघन
नवगछिया के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बरुण ने देर शाम मीडिया कर्मियों से मुखातिब हो कर कहा कि फिर स्वास्थ्य माफियाओं द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा है. सबसे पहले लाखों रुपये की निकासी का मामला पूरी तरह से निराधार है. दूसरी तरफ उनके विरूद्ध स्वास्थ्य माफिया के उकसावे पर इस तरह की भ्रांति को फैलाने का प्रयास किया. इस क्रम में उनकी निजता का भी ख्याल नहीं रखा गया. पीएचसी में परिवार नियोजन के तहत दी जाने वाली सुई के लाभुक महिलाओं का भी नाम उजागर कर दिया गया. इन्हीं महिलाओं में उनकी पत्नी भी है, जिनका नाम अन्य महिलाओं के साथ जगजाहिर कर दिया गया. यह आपराधिक कृत्य है.
जहां तक आरबीएसके में चलने वाले वाहन की बात है तो कोरोना के समय मे वैक्सीनेशन के लिये अच्छे वाहन की जरूरत थी. पीएचसी में विधिवत एक अधिसूचना निकाली गयी जिसके बाद एक कदवा से वाहन मालिक अपना वाहन देने के लिए सामने आए. जब वाहन उपलब्ध नहीं हुआ तो उन्होंने अपने पिता को अपना वाहन पीएचसी के कार्य मे देने का अनुरोध किया. जब वे तैयार हो गए तो एग्रीमेंट किया गया और उनका वाहन विधिवत लिया गया. दोनों वाहन के एवज में मासिक रूप से निर्धारित राशि दी जाती है. दूसरी तरफ कोरोना वैक्सीनेशन के लिये 20 उत्प्रेरक की तत्काल जरूरत थी.
काफी मेहनत के बाद 10 उत्प्रेरक मिले, इसके बाद स्टाफ से कहा गया वे अपने सगे संबंधियों में जानकार लोगों को इस कार्य मे लगा सकते हैं. इसके बाद भी पद खाली रह गए, जबकि वैक्सीनेशन के कार्य में उत्प्रेरक की नितांत आवश्यकता थी. इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को प्रस्ताव दिया और वह काम करने को तौयार हो गयी. यह दैनिक कार्य था और रोज के हिसाब से पैसे दिए जाते थे. दो तीन माह ही कार्य चला, जिसके लिये एक बार पेमेंट का भुगतान किया गया. अभी भी दिसंबर और जनवरी का भुगतान नहीं किया गया है. डॉ बरुण ने कहा कि हरेक कार्य उन्होंने नियमतः किया है और किसी प्रकार का बेजा लाभ नहीं दिलवाया गया है. ऐसी स्थिति में कुछ माफिया टाइप लोग उनके पीछे लगे रहते हैं. ऐसे लोगों ने ही उन्हें बदनाम करने की साजिश की है.