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@ गुणोत्तर शिक्षा के लिए विवि प्रशासन के साथ सीनेट सदस्यगण भी निभाए जिम्मेदारी
@ विवि में इंटरपेनियोरशिप डेपलपमेंट सेल का करें गठन,
@ नौकरी नहीं रोजगार सृजन करने वाले छात्र को करें तैयार
प्रदीप विद्रोही
भागलपुर। सुंदरवती महिला कॉलेज के नवनिर्मित परीक्षा भवन में शैक्षिणक उन्न्यन के उदेश्य से आयोजित तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पहली एकेडमिक सीनेट बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति सह प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने गुरुवार को कहा कि प्रदेश के हर विश्वविद्यालय में पढ़ाई पूरी करने के बाद युवाओं में नौकरी की सोच बदलने की जरूरत है। शिक्षा की दिशा सिर्फ नौकरी लेने की नहीं होनी चाहिए। आज के वर्तमान परिवेश में युवाओं को रोजगार परख शिक्षा मुहैया कराने पर बल देने की जरूरत है, ताकि वे विभिन्न क्षेत्रों में खुद का स्टार्टअप खड़ा कर उद्यमी बन नौकरी खोजने के वजाय दूसरों के लिए रोजगार का सृजन कर सके।
कुलाधिपति ने कहा कि हमारे देश और प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या जटिल है। इसके निवारण की दिशा में सोच को बदलने की जरूरत है। ऐसी सोच को सामूहिक प्रयास से धरातल पर उतारने के बाद ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र एव राज्य सरकार प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही है। कुलाधिपति ने विवि प्रशासन, शिक्षकों एवं सीनेट सदस्यों को स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर हम अपने बेहतर प्रयास से विवि में अध्ययनरत 50 प्रतिशत बच्चों को भी आत्मनिर्भर बनाने में कामयाब हुए तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था काफी मजबूत हो जाएगी। उन्होंने बैठक में आगे कहा कि हम चाहते है प्रांत के सभी विश्वविद्यालयों में इंटरपेनियोरशिप डेपलपमेंट सेल का गठन हो। विवि में पढ़ाई करने वाले छात्र वहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी नहीं उद्यमी बन रोजगार के सृजन करने वाले हों, आत्मनिर्भर बने।
विवि के सर्वांगीण विकास में सीनेट सदस्यों की भूमिका अहम :

बैठक में कुलाधिपति ने कहा कि इस विवि में सीनेट सदस्यों की संख्या 150 के करीब है। सभी सदस्य अगर विवि के विकास में एक-एक घंटे का योगदान करेंगे तो तिलकामांझी भागलपुर विवि की सूरत बदल जाएगी। उन्होंने सीनेट सदस्यों से कहा कि शिक्षक एवं विद्यार्थियों के हित में समस्याओं को उठाने के बचाय उसके समाधान की दिशा में विवि प्रशासन को सुझाव दें। कुलपति को भी इन समस्याओं का मूल्यांकन के लिए सीनेट सदस्यों के साथ कॉलेजों का भ्रमण करने की जरूरत है। कुलाधिपति ने कहा कि कुछ सीनेट सदस्य समस्याओं को लेकर राजभवन भी आते है, लेकिन विवि के विकास से संबंधित लेकर नहीं आते। कुलाधिपति ने कहा कि अभी बिहार प्रांत में खेल का माहौल बना हुआ है। विवि में शिक्षा के साथ-साथ खेल को बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हर खेल के लिए एक विशेषज्ञ की जरूरत होती है। तभी उनके मार्गदर्शन में खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके पूर्व कुलपति प्रो. जवाहर लाल ने विवि के शैक्षिणक गतिविधियों एवं भावी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने विवि में शिक्षकों की कमी का भी उल्लेख किया। कुलपति ने कहा कि वर्ष 2012 में विवि से शिक्षकों का 200 पद सरेंडर कर दिया गया है उसे पुन स्वीकृत कराने की दिशा में पहल किया जा रहा है। कुलपति ने बैठक में विज्ञान संकाय के अलावा सामाजिक विज्ञान मानविकी एवं वाणिज्य विभागों के शिक्षकों के बेहतर उपलब्धियों की सराहना की।
इसके पूर्व कुलपति डॉ. जवाहर लाल ने कुलाधिपति को अंग वस्त्र, मोमेंटों और मां सरस्वती की प्रतिमा देकर उनका स्वागत किया। इसके बाद मंचासीन कुलाधिपति के प्रधान सचिव आरएल चौंथू, कुलपति सहित अन्य अतिथि के स्वागत की औपचारिकताएं पूरी की गई। मौके पर छात्रों द्वारा राष्ट्रगान एवं कुलगीत की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मनोज कुमारकर रहे थे।धन्यवाद ज्ञापन की औपचारिकता विवि के रजिस्ट्रार प्रो. रामाशीष पूर्वे ने किया। बैठक में पूरा प्रशाल सीनेट सदस्यों एवं विवि अधिकारियों व शिक्षकों से भरा हुआ था।

बॉक्स खबर

बैठक में हॉट रहा शिक्षकों के प्रोन्नित का मामला :

एकेडमिक सीनेट की पहली बैठक में शिक्षकों की प्रोन्नित एवं छात्र-छात्राओं की समस्याओं का मामला हॉट बना रहा। कई सीनेट सदस्यों ने कहा कि प्रोमोशन सेल का गठन सिर्फ और सिर्फ छलावा है। जारी आदेश में प्रमोशन कब तक और कैसे मिलेगा इसकी कोई चर्चा नहीं है। सीनेट सदस्य संजीव कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षकों के प्रोन्नति का कलेंडर गजट में प्रकाशित होना चाहिए। इस गंभीर मामलों को उठाने वालों में सीनेट सदस्य प्रियदर्शी, निशांत, पुरूषोत्तम एवं डॉ. राजेश तिवारी सहित अन्य शामिल थे। इस मामले पर कई सदस्यों ने विवि प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रोन्नति का सौदा बाजार में तय हो रहा है। इस पर कुलपति ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह का आरोप पुरी तरह निराधार है। सभी शिक्षकों को लंबित प्रोन्नति नियम संगत मिलेगा। उन्होंने अन्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों को मिले प्रोन्नित का मामला उठाते हुए कहा कि आज भी वहां के शिक्षक एक दूसरे शिक्ष्को पर प्रोन्नति का गलत लाभ लेने का आरोप प्रत्यारोप लगाकर न्यायालय का चक्कर लगा रहे हैं। यहां ऐसा कतई नहीं होने दिया जाएगा। सीनेट सदस्य मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि यूजीसी नियमों के अनुसार एक शिक्षक को कॉलेजों में पांच घंटे रहना अनिवार्य है, लेकिन विवि प्रशासन इसकी कहीं मोनेटरिंग नहीं कर रही है। जिसका नतीजा है कि तीन बजे के बाद कॉलेजों में न शिक्षक होते है और न छात्र। उन्होंने कहा कि शैक्षिणक गुणवत्ता और शोध उन्नयन को लेकर विवि प्रशासन कॉलेजों को राशि उपलब्ध नहीं करा रही है। सीनेट सदस्य सुप्रिया शालिनी ने चाइल्ड केयर लीव का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि वीर कुंवर सिंह एवं मिथिला विवि में महिला शिक्ष्कों को यह लाभ मिल रहा है। इस पर कुलाधिपति ने कहा कि राज्य सरकार अभी तक इस मामले पर कोई निर्णय नहीं ली है। फिर भी इसके लिए प्रयास किया जाएगा। बैठक में सीनेट सदस्य मदन मोहन झा ने कहा कि विवि शिक्षा एवं शोध के उन्नयन की बात करती है, लेकिन अगर युवा शिक्षक इस दिशा में आगे आते हैं तो उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती है। जबाव देते हुए विवि के कुलसचिव प्रो. रामाशीष पूर्वे ने कहा कि अभी तक इस तरह की शिकायत से संबंधित आवेदन हम तक नहीं पहुंची है.

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