प्रखंड क्षेत्र में बीते एक पखवाड़े तक लगातार गंगा और कोसी के जलस्तर में वृद्धि होने से त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। पर पिछले चार-पांच दिनों से गंगा और कोसी के जलस्तर में लगातार गिरावट होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने राहत की सांस ली है। दूसरी तरफ इन इलाकों से अब गांव घरों से पानी निकल गया है, परंतु रंगरा पंचायत में पानी घटने के बावजूद भी जलजमाव बरकरार है।
यहां पानी निकलने की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण पानी जमा हुआ है। लिहाजा इन पंचायतों में अभी भी लोगों की समस्याएं जस के तस बने हुए हैं। जलजमाव अधिक दिनों तक रहने के कारण कटरिया तीनटंगा पीडब्ल्यूडी सड़क मार्ग पर अवस्थित स्लुईस गेट का दीवार तोड़ दिया गया है, ताकि जल्द से जल्द रंगरा गांव से पानी बाहर हो सके। इसके अलावा रंगरा मुस्लिम टोला में डीजल पंपिंग सेट लगाकर बाढ़ का पानी खींचा जा रहा है। पर पानी घटने का नाम ही नहीं ले रहा है।
प्रखंड के रंगरा, सधुआ चापर, तीनटंगा दियारा उत्तर और दक्षिण, मदरौनी, कोशकीपुर सहोरा यह सभी पंचायत पूर्णरूपेण बाढ़ प्रभावित पंचायते हैं। इन पंचायतों के 3 दर्जन से भी ज्यादा गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुका था। जहां से पानी अब निकल रहा है। परंतु इन इलाकों के लोग अब भी बाढ़ की त्रासदी से अघोषित जंग लड़ने को मजबूर है।
हालांकि प्रशासन के द्वारा इन गांवों में कम्युनिटी किचन के माध्यम से पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया गया है, जो वहां के लोगों के जीवन यापन के लिए नाकाफी है। बाढ़ के त्रासदी के कारण बाढ़ प्रभावित लोगों का आर्थिक रूप से कमर टूट चुकी है। बाढ़ पीड़ित बताते हैं कि बाढ़ ने खेत में लगी फसल को लील लिया। अचानक पानी का जलस्तर हाई लेवल हो जाने के कारण उनका आशियाना भी बार बाढ़ की भेंट चढ गया है।
जिस में रखे सामान भी अधिकतर बर्बाद हो गए हैं। जो बचा खुचा समान था उन्हें बचाने में समय गुजर गया। अब उनके सामने आगे की जिंदगी जीने की चुनौती सामने मुंह बाए खड़ी है। बाढ़ की त्रासदी झेल रहे लोग अभी प्रशासन की तरफ टकटकी लगाए हुए बैठे हैं कि उन्हें सुखा राशन के अलावा अन्य जरूरी सामान प्रशासन की तरफ से मुहैया कराई जाएगी।
——-15 दिनों से जमा पानी निकलने के बाद अब देने लगा है दुर्गंध। मौसमी बीमारी की डर से सहमें है लोग। ——
बाढ़ का पानी घटने की शुरुआत होते ही हर जगह से सड़न की बदबू अब आने लगी है। जिससे आम लोगों को मौसमी बीमारी होने का डर सताने लगा है। बाढ़ के पानी में डूबी फसल, घास फूस के सड़न के दुर्गंध से लोगों का जीना हराम हो रहा है। बताते चलें कि लगभग 15 दिनों से पानी इकट्ठा हो जाने के कारण दूषित होकर दुर्गंध करने लगा है।
प्रभावित क्षेत्र के लोग उस दुर्गंध में अपनी जिंदगी जीने को विवश हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दूषित पानी और सड़न के दुर्गंध से डायरिया, वायरल बुखार की संभावना बढ़ती जा रही है जिससे आम लोग डरे सहमें है। परंतु इस ओर प्रशासन की अब तक कोई ध्यान नहीं गया है।