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महिला को स्वावलंबी बनाने के लिए कृषि विश्वविद्यालय ने की पहल

पराली से महिलाएं बना रही है एक से बढ़कर एक कलाकृति

भागलपुर।जहानाबाद जैसे नक्सल प्रभावित इलाके से वहाँ के गंधार कृषि विज्ञान केंद्र ने भीम राव अम्बेडकर जयंती पर विशेष पहल की है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के परिसर में गरीब और वंचित महिलाओं के स्वावलंबन के लिए “वेस्ट को वेल्थ” में बदलने का मुहिम शुरू किया है। धान व गेहूं के पराली जलाने को जलाने के बजाय नया विकल्प ढूंढ निकाला है। पराली से सजावटी कलाकृति बनाने का मुहिम छेड़ा है।

उस काम में गरीब और वंचित महिलाओं और लड़कियों को ट्रेनिंग देकर जीविकोपार्जन का हुनर दिया जा रहा है। बिहार में इसकी शुरुआत फिलहाल जहानाबाद से हुई है। आगे अन्य जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से मुहिम को आगे बढ़ाया जाएगा। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर दुनिया राम सिंह बताते हैं कि अगर इस तरह के पहल से समाज में सुधार की गुंजाइस हो तो पर्यवरण के सुधार के साथ साथ सामाजिक माहौल भी बेहतर हो जाएगा।

जहानाबाद की सोनी कहती हैं कि कब तलक बन्दूक के डर से दुबके रहेंगे घरों में। पिता जी के मौत के बाद कुछ करने की ठानी है। माँ के साथ जीविका में ट्रेनिंग भी लिया है। अब कृषि विज्ञान केंद्र गंधार हमलोगों का बेड़ापार लगाएगी। खास मौके पर वेस्ट को वेल्थ में बदलकर जीविकोपार्जन के लिए तैयार किये गए पराली से बने गांधी जी समेत कई कलाकृति का प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। बीएयू के कुलपति डी आर सिंह ने बताया कि इस कलाकृति को राष्ट्रपति, पीएम और सीएम को भेज वंचित और गरीब महिलाओं के हुनर को बताएंगे।
बाइट – डॉ डी आर सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर, भागलपुर।
बाइट – सोनी कुमारी, लाभार्थी, जहानाबाद।

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